Friday, 2 August 2019

बाहर का जगत हमारे विचारों की ही अभिव्यक्ति है .....

बाहर का जगत हमारे विचारों की ही अभिव्यक्ति है .....
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हमारे विचार और भाव ही हमारे कर्म हैं| कर्म का अर्थ भौतिक क्रिया नहीं है, हमारे विचार और भाव ही हमारे कर्म हैं जो निरंतर हमारे खाते में जुड़ते रहते हैं| उनका फल हमें जन्म-जन्मान्तरों में अवश्य मिलता है| जैसे हमारे विचार और भाव होंगे, जैसा हमारा चिंतन होगा और वैसी ही परिस्थितियों को हम आकर्षित करते हैं|
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हमें अपने आसपास सफाई व पवित्रता रखनी चाहिए, क्योंकि जैसा हमारा भौतिक और मानसिक परिवेश होगा, तदनुरूप ही सूक्ष्म जगत के प्राणी भी हमारे पास आते हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं| जैसे भौतिक व मानसिक वातावरण में हम रहते हैं वैसे ही सूक्ष्म जगत के प्राणियों को हम आकर्षित करते हैं, जो देवता भी हो सकते हैं और निम्न जगत के अधम प्राणी भी जिन्हें हम आँखों से नहीं देख सकते पर अनुभूत कर सकते हैं|
सूक्ष्म और कारण जगत, भौतिक जगत से दूर नहीं है, सिर्फ उनके स्पंदन अलग हैं, वैसे ही जैसे एक ही टेलीविजन पर अलग अलग चैनल पर अलग अलग कार्यक्रम|
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अतः भौतिक और मानसिक रूप से अपने आसपास स्वच्छता और पवित्रता रखें| सुन्दर और स्वच्छ वातावरण में रहें व विचारों में पवित्रता रखें, तभी हमारे यहाँ देवताओं का निवास होगा अन्यथा बुरी आत्माएँ आकर्षित होंगी|
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हमारा हर विचार सद्विचार हो और हर संकल्प शिवसंकल्प हो| निरंतर प्रभु को अपने ह्रदय में रखें| बाहर का जगत हमारे विचारों की ही अभिव्यक्ति है|
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ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१ अगस्त २०१९

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