भारत छोड़ो आन्दोलन .....
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भारत छोडो आन्दोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ८ अगस्त १९४२ को महात्मा गाँधी द्वारा मुम्बई के अगस्त क्रांति मैदान से आरम्भ किया गया था| यह एक बहुत विराट देशव्यापी आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था| पूरे देश में इस आन्दोलन को अंग्रेजों ने बड़ी निर्दयता और निर्ममता से कुचल दिया था| गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था| जयप्रकाश नारायण भूमिगत हो गए थे| फिर श्री लालबहादुर शास्त्री ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया| "करो या मरो" का नारा गांधीजी ने दिया था जिसे लालबहादुर शास्त्री जी ने "मरो नहीं, मारो" बना दिया|
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मेरे विचार से आन्दोलन का समय एक गलत राजनीति से प्रेरित था| ९ अगस्त १९२५ को पं.रामप्रसाद 'बिस्मिल' के नेतृत्व में दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने काकोरी काण्ड किया था जिसकी यादगार ताजा रखने के लिये पूरे देश में प्रतिवर्ष ९ अगस्त को "काकोरी काण्ड स्मृति-दिवस" मनाने की परम्परा भगत सिंह ने आरम्भ कर दी थी जिसमें बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे| गांधीजी चाहते थे कि जनता उसे भूल जाए| इसलिए उन्होंने इस आन्दोलन का समय आठ और नौ अगस्त को रखा|
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विद्यालयों में पढ़ाया तो हमें यही गया था कि स्वतन्त्रता इसी आन्दोलन के कारण मिली| पर यह झूठ था| बड़े होकर ही हमें पता चला कि आज़ादी मिली थी तो अन्य कारणों से जिसे कभी भी विद्यालयों में पढ़ाया नहीं गया था|
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हमें आज़ादी मिली थी निम्न दो कारणों से :----
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भारत छोडो आन्दोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ८ अगस्त १९४२ को महात्मा गाँधी द्वारा मुम्बई के अगस्त क्रांति मैदान से आरम्भ किया गया था| यह एक बहुत विराट देशव्यापी आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना था| पूरे देश में इस आन्दोलन को अंग्रेजों ने बड़ी निर्दयता और निर्ममता से कुचल दिया था| गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था| जयप्रकाश नारायण भूमिगत हो गए थे| फिर श्री लालबहादुर शास्त्री ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया| "करो या मरो" का नारा गांधीजी ने दिया था जिसे लालबहादुर शास्त्री जी ने "मरो नहीं, मारो" बना दिया|
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मेरे विचार से आन्दोलन का समय एक गलत राजनीति से प्रेरित था| ९ अगस्त १९२५ को पं.रामप्रसाद 'बिस्मिल' के नेतृत्व में दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने काकोरी काण्ड किया था जिसकी यादगार ताजा रखने के लिये पूरे देश में प्रतिवर्ष ९ अगस्त को "काकोरी काण्ड स्मृति-दिवस" मनाने की परम्परा भगत सिंह ने आरम्भ कर दी थी जिसमें बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे| गांधीजी चाहते थे कि जनता उसे भूल जाए| इसलिए उन्होंने इस आन्दोलन का समय आठ और नौ अगस्त को रखा|
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विद्यालयों में पढ़ाया तो हमें यही गया था कि स्वतन्त्रता इसी आन्दोलन के कारण मिली| पर यह झूठ था| बड़े होकर ही हमें पता चला कि आज़ादी मिली थी तो अन्य कारणों से जिसे कभी भी विद्यालयों में पढ़ाया नहीं गया था|
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हमें आज़ादी मिली थी निम्न दो कारणों से :----
(१) द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति तक अंग्रेजी सेना की कमर टूट गयी थी और
वह भारत पर अपना नियंत्रण रखने में असमर्थ थी| भारतीय सैनिकों ने अँगरेज़
अफसरों के आदेश मानने और उन्हें सलामी देना बंद कर दिया था| नौसेना ने
विद्रोह कर दिया और अँगरेज़ अधिकारियों को बंदी बना लिया| इससे अँगरेज़ बहुत
अधिक डर गए थे और उन्होंने भारत छोड़ने का निर्णय ले लिया|
(२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना की और अपनी स्वतंत्र सेना बनाकर भारत की स्वतन्त्रता के लिए युद्ध आरम्भ कर दिया| वे इतने अधिक लोकप्रिय हो चुके थे कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता था| अँगरेज़ भयभीत थे| उन्होंने भारत का अधिक से अधिक नुकसान किया, भारत को अधिक से अधिक लूटा, विभाजन किया और अपने मानसपुत्र को सता हस्तांतरित कर के भारत से चले गए|
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सत्य सनातन धर्म की जय | भारत माता की जय | हर हर महादेव | जय श्रीराम |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
(२) नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना की और अपनी स्वतंत्र सेना बनाकर भारत की स्वतन्त्रता के लिए युद्ध आरम्भ कर दिया| वे इतने अधिक लोकप्रिय हो चुके थे कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता था| अँगरेज़ भयभीत थे| उन्होंने भारत का अधिक से अधिक नुकसान किया, भारत को अधिक से अधिक लूटा, विभाजन किया और अपने मानसपुत्र को सता हस्तांतरित कर के भारत से चले गए|
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सत्य सनातन धर्म की जय | भारत माता की जय | हर हर महादेव | जय श्रीराम |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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