साधना में रुकावट डालने वाले राग-द्वेष, काम, क्रोध आदि से मुक्त कैसे हों?
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विषय परायणता से मुक्त कैसे हों? इसका कोई सामान्य उत्तर नहीं है| प्रत्येक व्यक्ति को जिन परिस्थितियों में वह है, उसका मूल्यांकन कर अपना उत्तर स्वयं ढूँढ़ना होगा कि वह उन परिस्थितियों से ऊपर कैसे उठ सकता है| प्रत्येक व्यक्ति की समस्या भी अलग है और समाधान भी अलग| एक ही उत्तर सभी के लिए नहीं हो सकता|
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फिर भी कुछ सामान्य उत्तर जो हो सकते हैं, वे हैं ...... सत्संग, स्वाध्याय, कुसंग का त्याग, सात्विक पवित्र आहार, नियमित दिनचर्या और नियमित साधना आदि|
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इस संसार में हमने बहुत अधिक कष्ट पाए हैं जो निश्चित रूप से हमारे कर्मों के ही फल थे| अब शांति से बैठकर विचार करें कि ऐसे हमारे कौन से कर्म हो सकते हैं जिनका हमें यह फल मिला है| जो संचित कर्म हैं उन से कैसे मुक्त हों, व ऐसे कर्मों से कैसे बचें जिन से इन कष्टों की पुनरावृति न हो? सार की बात यह है कि पूर्वजन्मों में हमने ऐसे अच्छे कर्म नहीं किये जिनसे हम जीवनमुक्त हो सकते थे, अन्यथा यह कष्टमय जन्म लेने को बाध्य नहीं होते| अब जीवनमुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ें| मन में दृढ़ संकल्प होगा तो मार्गदर्शन भी मिलेगा|
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कभी निराश न हों| जीवन की कटुताओं और बुरे अनुभवों को याद न करें| भगवान की यह सृष्टि निश्चित रूप से सुव्यवस्थित है| इसमें कोई अव्यवस्था नहीं है| अपनी हर समस्या का समाधान भगवान में ही ढूंढें| उत्तर अवश्य मिलेगा|
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विषय परायणता से मुक्त कैसे हों? इसका कोई सामान्य उत्तर नहीं है| प्रत्येक व्यक्ति को जिन परिस्थितियों में वह है, उसका मूल्यांकन कर अपना उत्तर स्वयं ढूँढ़ना होगा कि वह उन परिस्थितियों से ऊपर कैसे उठ सकता है| प्रत्येक व्यक्ति की समस्या भी अलग है और समाधान भी अलग| एक ही उत्तर सभी के लिए नहीं हो सकता|
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फिर भी कुछ सामान्य उत्तर जो हो सकते हैं, वे हैं ...... सत्संग, स्वाध्याय, कुसंग का त्याग, सात्विक पवित्र आहार, नियमित दिनचर्या और नियमित साधना आदि|
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इस संसार में हमने बहुत अधिक कष्ट पाए हैं जो निश्चित रूप से हमारे कर्मों के ही फल थे| अब शांति से बैठकर विचार करें कि ऐसे हमारे कौन से कर्म हो सकते हैं जिनका हमें यह फल मिला है| जो संचित कर्म हैं उन से कैसे मुक्त हों, व ऐसे कर्मों से कैसे बचें जिन से इन कष्टों की पुनरावृति न हो? सार की बात यह है कि पूर्वजन्मों में हमने ऐसे अच्छे कर्म नहीं किये जिनसे हम जीवनमुक्त हो सकते थे, अन्यथा यह कष्टमय जन्म लेने को बाध्य नहीं होते| अब जीवनमुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ें| मन में दृढ़ संकल्प होगा तो मार्गदर्शन भी मिलेगा|
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कभी निराश न हों| जीवन की कटुताओं और बुरे अनुभवों को याद न करें| भगवान की यह सृष्टि निश्चित रूप से सुव्यवस्थित है| इसमें कोई अव्यवस्था नहीं है| अपनी हर समस्या का समाधान भगवान में ही ढूंढें| उत्तर अवश्य मिलेगा|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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