Saturday, 24 June 2017

चेतना को छल-कपट से मुक्त करें ......


चेतना को छल-कपट से मुक्त करें ......
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प्रातःकाल में जब प्रकृति शांत होती है, तब उठें, कुछ देर प्राणायाम कर के पूर्व या उत्तर की ओर मुँह कर के कुशासन या ऊनी आसन पर बैठ जाएँ| आपको ह्रदय की धड़कन या तो सुनाई देगी या उसकी अनुभूति होगी| ह्रदय की हर धड़कन पर अपने गुरु प्रदत्त बीज मन्त्र का या ओंकार का मानसिक जप करते रहें| जप की गति उस से तीब्र यानि अधिक भी कर सकते हैं पर कम नहीं| यह जप निरंतर चलता रहे, कभी रुके नहीं| अब किसी भी बाहरी ध्वनि को भूल जाएँ ओर अंतर में सुनाई दे रही ब्रह्मांड की ध्वनी को ही अवचेतन मन में सुनते रहें जो हमारा जप है| यह हमारा स्वभाव बन जाना चाहिए| आगे का मार्गदर्शन स्वयं परमात्मा करेंगे|
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इन बीजमंत्रों के जाप से विशुद्ध बुद्धि और परानिष्ठा की प्राप्ति होगी| छल-कपट और राग-द्वेष से रहित बुद्धि ..... विशुद्ध बुद्धि कहलाती है जो हमें साधना से ही प्राप्त होती है| मन में कपट होगा तो बुद्धि में भी कपट होगा| जहां छल-कपट और राग-द्वेष होगा वहाँ भगवान नहीं आते| घर में भी कोई अतिथि आता है तो उसके स्वागत के लिए घर में साफ़-सफाई करते हैं| यहाँ तो हम साक्षात परमात्मा को आमंत्रित कर रहे हैं| परमात्मा को अपने चेतना में प्रतिष्ठित करने के लिए चेतना को छल-कपट रूपी गन्दगी से मुक्त करना होगा|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२० जून २०१७

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