हम मुक्त कैसे हों ? ....
इसका एकमात्र उत्तर जो मेरी सीमित व अल्प बुद्धि सोच सकती है वह है .... "परम प्रेम यानि पूर्ण भक्ति को जागृत कर गहन ध्यान साधना द्वारा अपने सम्पूर्ण अस्तित्व का परमात्मा में पूर्ण विसर्जन|" ...... अन्य कोई मार्ग मेरी दृष्टी में नहीं है|
.
वेदांत के शिखर पुरुष स्वामी रामतीर्थ से किन्हीं अनजान लोगों ने पूछा :
"आप देवों के देव हैं ?"
"हाँ|"
"आप ईश्वर हैं ?"
"हाँ, मैं ईश्वर हूँ.... ब्रह्म हूँ|"
"सूरज, चाँद, तारे आपने बनाये ?"
"हाँ, जब से हमने बनाये हैं तबसे हमारी आज्ञा में चल रहे हैं|"
"आप तो अभी आये| आप की उम्र तो तीस-इक्कतीस साल की है |"
"तुम इस विषय में बालक हो| मेरी उम्र कभी हो नहीं सकती| मेरा जन्म ही नहीं तो मेरी उम्र कैसे हो सकती है ? जन्म इस शरीर का हुआ| मेरा कभी जन्म नहीं हुआ|"
न मे मृत्युशंका न में जातिभेदः
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः|
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ||
.
ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | शिवोहं शिवोहं | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
ॐ ॐ ॐ ||
इसका एकमात्र उत्तर जो मेरी सीमित व अल्प बुद्धि सोच सकती है वह है .... "परम प्रेम यानि पूर्ण भक्ति को जागृत कर गहन ध्यान साधना द्वारा अपने सम्पूर्ण अस्तित्व का परमात्मा में पूर्ण विसर्जन|" ...... अन्य कोई मार्ग मेरी दृष्टी में नहीं है|
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वेदांत के शिखर पुरुष स्वामी रामतीर्थ से किन्हीं अनजान लोगों ने पूछा :
"आप देवों के देव हैं ?"
"हाँ|"
"आप ईश्वर हैं ?"
"हाँ, मैं ईश्वर हूँ.... ब्रह्म हूँ|"
"सूरज, चाँद, तारे आपने बनाये ?"
"हाँ, जब से हमने बनाये हैं तबसे हमारी आज्ञा में चल रहे हैं|"
"आप तो अभी आये| आप की उम्र तो तीस-इक्कतीस साल की है |"
"तुम इस विषय में बालक हो| मेरी उम्र कभी हो नहीं सकती| मेरा जन्म ही नहीं तो मेरी उम्र कैसे हो सकती है ? जन्म इस शरीर का हुआ| मेरा कभी जन्म नहीं हुआ|"
न मे मृत्युशंका न में जातिभेदः
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः|
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ||
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | शिवोहं शिवोहं | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
ॐ ॐ ॐ ||
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