जिस तरह दूसरों के द्वारा किए गए भोजन से हमारा पेट नहीं भरता, वैसे ही दूसरों की तपस्या और साक्षात्कार से हमें मोक्ष नहीं मिल सकता। परमात्मा का साक्षात्कार हमें स्वयं करना होगा।
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कुछ मज़हब और रिलीजन कहते हैं कि परमात्मा के एक ही पुत्र है, या एक ही पैगम्बर है, सिर्फ उसी में आस्था रखो, तभी स्वर्ग मिलेगा, अन्यथा नर्क की शाश्वत अग्नि में झोंक दिए जाओगे। कुछ सम्प्रदाय या समूह कहते हैं कि हमारे फलाँ फलाँ सदगुरु ने या महात्मा ने ईश्वर का साक्षात्कार कर लिया है, अतः उनका ही ध्यान करो, और उनकी ही भक्ति करो, उन्हीं में आस्था रखो, उनके आशीर्वाद मात्र से ही मोक्ष मिल जाएगा, आदि आदि।
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वेदज्ञ महात्माओं के सत्संग में उन्हीं वेदज्ञ महात्माओं के मुख से सुना है कि ये सब बातें वेद-विरुद्ध हैं, जो हमें कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकतीं। फिर भी हम दूसरों के पीछे-पीछे मारे-मारे फिरते हैं कि संभवतः उनके आशीर्वाद से हमें परमात्मा मिल जाए। पर ऐसा होता नहीं है। वेदों के ऋषि तो कहते हैं कि परमात्मा का अपरोक्ष साक्षात्कार सभी को हो सकता है, मोक्ष के लिए स्वयं का किया हुआ आत्म-साक्षात्कार ही काम का है, दूसरे का साक्षात्कार हमें मोक्ष नहीं दिला सकता।
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कृष्ण यजुर्वेद शाखा के श्वेताश्वतरोपनिषद में जगत के मूल कारण, ओंकार साधना, परमात्मतत्व से साक्षात्कार, योग साधना, जगत की उत्पत्ति, संचालन व विलय के कारण, विद्या-अविद्या, मुक्ति, आदि का वर्णन किया गया है। ध्यान योग साधना का आरम्भ वेद की इसी शाखा से होता है। बाद में तो इसका विस्तार ही हुआ है।
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जिसने परमात्मा को जान लिया उसे किसी का भय नहीं हो सकता | विराट तत्व को जानने से स्थूल का भय, और हिरण्यगर्भ को जानने से सूक्ष्म का भय नहीं रहता है। किन्हीं ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय आचार्य के मार्गदर्शन में उपनिषदों व श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय करो, और इनमें दी हुई पद्धति से ध्यान साधना करो, सारे संदेह दूर हो जायेंगे। आत्म-साक्षात्कार की विधियाँ उपनिषदों में दी हुई हैं, बिना आत्म-साक्षात्कार के मोक्ष का कोई उपाय या short cut नहीं है।
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बहुत शक्तिशाली प्रार्थना है यह --- "श्रीमद्रामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये। श्रीमते रामचंद्राय नमः !!" इस मंत्र से भगवान श्रीराम को नमन करते ही तुरंत प्रभाव पड़ता है।
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
०४ सितम्बर २०२३
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