सनातन-धर्म शाश्वत और सनातन है, सदा अमर ही रहेगा ---
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सारी सृष्टि ही सनातन धर्म के सिद्धांतों से चल रही है। सनातन धर्म को नष्ट करने का अर्थ है -- इस सृष्टि का ही विनाश। सनातन को नष्ट करने की सोचने वाले असुर क्या सृष्टिकर्ता से भी बड़े हैं? उन सब असुरों का नाश हो जाएगा, लेकिन सनातन शाश्वत है, सदा अमर रहेगा।
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(१) आत्मा की शाश्वतता :--- हरेक प्राणी एक शाश्वत आत्मा है, भौतिक देह नहीं। क्रमिक विकास में उसे यह मनुष्य देह मिलती है।
(२) कर्मफलों का परिणाम :--- हमारी सोच, हमारे विचार, हमारे संकल्प, और हमारी कामनाएँ ही हमारे कर्म हैं। ये हमारे अवचेतन मन में सुरक्षित रूप से संरक्षित होते रहते हैं। इनसे कोई बच नहीं सकता। भगवान श्रीकृष्ण ने करुणावश अपनी परम कृपा कर के कर्मफलों से मुक्ति का उपाय गीता में बताया है। जिसकी प्रज्ञा स्थिर है, वह स्थितप्रज्ञ व्यक्ति ही भगवान की परम कृपा से जीवनमुक्त है। ऐसी अवस्था वाले महात्मा ही निर्विकल्प समाधि में रहते हैं।
(३) पुनर्जन्म --- हरेक आत्मा शाश्वत है जिसे एक शरीर छूटते ही दूसरा शरीर उसके कर्मानुसार मिल जाता है। सृष्टि अनंत है, अनंत लोक हैं। किस व्यक्ति का पुनर्जन्म कहाँ होना है यह काम प्रकृति ही तय करती है। पुनर्जन्म के बिना सृष्टि नहीं चल सकती। यह हमारे धर्म का मुख्य सिद्धान्त है।
(४) ईश्वर के अवतारों में आस्था --- इस विषय पर मैं बहुत बार लिख चुका हूँ। अब और लिखने का धैर्य नहीं है। मेरा स्वास्थ्य इस समय और लिखने की अनुमति नहीं दे रहा है।
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उपरोक्त चारों सिद्धांतों पर, जो शत-प्रतिशत सत्य हैं, -- सनातन धर्म टिका हुआ है। पूरी सृष्टि ही इन से चल रही है। अतः सनातन धर्म अमर है। इसे कोई नष्ट नहीं कर सकता। सूक्ष्म रूप से सनातन धर्म की बात करें तो मनुस्मृति में धर्म के दस लक्षण दिये हैं, जिनको धारण करना ही धर्म है।
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सनातन धर्म का उद्देश्य :--- सनातन धर्म का एकमात्र उद्देश्य और लक्ष्य भगवत्-प्राप्ति है। मेरी दृष्टि में अन्य कोई उद्देश्य नहीं है।
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इस समय और लिखने में असमर्थ हूँ। जब शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य अनुमति देगा तब और लिखूंगा। आप सभी को शुभ कामनाएँ।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ सितंबर २०२३
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