Tuesday, 3 June 2025

तन समर्पित, मन समर्पित, तुझको अपनापन समर्पित ---

 तन समर्पित, मन समर्पित, तुझको अपनापन समर्पित ---

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जब समर्पण में कमी होती है तभी आध्यात्मिक साधना में बहुत अधिक विक्षेप आते हैं। इस समय अब तक के जन्मों की सारी कमियाँ निकल कर सामने आ रही हैं। अब तक पता नहीं वे कहाँ छिपी हुई थीं। एक तरह की उथल-पुथल जीवन में चल रही है। अब तक के अच्छे-बुरे सभी कर्मफलों ने जीवन में उत्पात मचा रखा है। अच्छे-बुरे सब कर्मफलों से मुक्त होना पड़ेगा, और कोई उपाय नहीं है।
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माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन
किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी
कर दया स्वीकार लेना यह समर्पण
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ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ जून २०२३

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