उपदेशों का कोई अंत नहीं है, दूसरों के पीछे इधर-उधर कितनी भी भागदौड़ करो, कुछ भी नहीं मिलने वाला है ---
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भारत में जन्म लिया है, भारत ही हमारी पुण्यभूमि और कर्मभूमि है। भारत की अस्मिता और सनातन संस्कृति पर हमें गर्व है। जो भी कार्य करेंगे, वह राष्ट्रहित में ही करेंगे। भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण हमारे आराध्य और परम आदर्श हैं। उन्हीं का अनुसरण करेंगे। आगे का मार्गदर्शन निश्चित रूप से स्वतः ही मिलेगा। साथ उन्हीं का करें जो परमात्मा के प्रति हमारे प्रेम में वृद्धि करे। कुसंग का त्याग करें। मानस में इष्टदेव की छवि निरंतर अपने समक्ष रखें और जब भी समय मिले उनका ध्यान करें।
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शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आर्थिक, और आध्यात्मिक --- हर तरह से शक्तिशाली बनें। किसी भी तरह की कोई कमजोरी न हो। निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करने का सदा प्रयास करें। जो भी होगा वह अच्छा ही होगा। शुभ कामनाएँ। भारत माता की जय॥
कृपा शंकर
३ जून २०२०
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