(प्र.) क्या चीन-भारत युद्ध की भूमिका बन रही है?
(उ.) निश्चित रूप से "हाँ"। भारत और चीन के मध्य एक निर्णायक युद्ध अवश्यंभावी है। यह नहीं कह सकता कि कब होगा, लेकिन निश्चित रूप से होगा।
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चीन पर पर्याप्त अध्ययन और चीन की यात्राओं का पर्याप्त अनुभव भी मुझे है। तिब्बत कभी भी चीन का भाग नहीं था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने स्टालिन के कहने से ब्रिटेन की अनुमति लेकर तिब्बत -- चीन को सौंपा था।
यह लेख अपनी अंतर्प्रज्ञा से लिख रहा हूँ। चीन का युद्ध भारत, अमेरिका, जापान, फिलिपाइन, विएतनाम और ताइवान से होगा, जिसमें चीन हारेगा और सात टुकड़ों में विभाजित हो जायेगा।
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(१ व २) सबसे पहले चीन से तिब्बत और क्विङ्ग्हाई प्रांत अलग होंगे और मिलकर एक स्वतंत्र देश बना लेंगे। कैलाश और मानसरोवर को भारत अपने अधिकार में ले लेगा।
(३) तीसरा भाग जो चीन से पृथक होगा, वह सिंजियांग प्रांत है। यह पूर्वी तुर्की कहलाता था। कभी भी चीन का भाग नहीं था।
(४) चौथा भाग जो चीन से पृथक होगा वह मंचूरिया होगा, जिसे चीन ने तीन प्रान्तों में बाँट रखा है -- लियानोनिंग, जिलियान व हेलोंगजियांग।
(५) पाँचवाँ भाग इन्नर मंगोलिया, जो चीन की दीवार के उत्तर में है।
(पास में ही एक छोटा सा प्रांत और है जिसका नाम निंगसिया है, उसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता।)
(६) गुयाङ्गदोंग प्रांत व हैनान द्वीप। होङ्ग्कोंग व मकाऊ इसी का भाग हो जाएँगे।
(७) ताइवान -- जो इस समय भी चीन से पृथक है।
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भारत की सीमा चीन से कहीं पर भी नहीं लगेगी। चीन द्वारा कब्जाए गए सारे भारतीय क्षेत्रों को भारत छुड़ा लेगा। इसकी प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।
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चीन एक असुर देश है। उनका खानपान ही उन्हें असुर बनाता है।
२० जून २०२४
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