भगवान ने सब कुछ दिया है, लेकिन सांसारिक बुद्धि और सांसारिक विवेक नहीं दिया। इसलिए इस संसार ने मुझे ठगा ही ठगा है
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सांसारिक दृष्टि से मेरे इस भौतिक शरीर महाराज की आयु आधिकारिक रूप से ७७ वर्ष है। १९ मई २०२४ को मेरे विवाह की ५१ वीं वर्षगांठ है। इस शरीर महाराज से जुड़ी सभी इंद्रियाँ और उनकी तन्मात्राएँ अभी तक तो ठीक से अपना कार्य कर रही हैं। किसी भी तरह की मधुमेह या रक्तचाप से जुड़ी बीमारी नहीं है। भगवान ने सब कुछ दिया है, लेकिन सांसारिक बुद्धि और सांसारिक विवेक नहीं दिया। इसलिए इस संसार ने मुझे ठगा ही ठगा है। सब अपने अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं, और भोगेंगे।
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इस भौतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि -- अन्तर्मन में जागृत परमात्मा से परम प्रेम है। अब से आगे का अवशिष्ट जीवन परमात्मा को पूरी तरह समर्पित है। मैं उन्हीं से मिलता-जुलता हूँ, उन्हीं से बात करता हूँ, जिनके मन में परमात्मा है। अन्य सारे संबंध एक दिखावा हैं। यथासंभव परमात्मा की चेतना में ही रहता हूँ, यही सबसे बड़ी सेवा है जो मैं समष्टि की कर सकता हूँ। इस जीवन की एकमात्र उपलब्धि परमात्मा का परमप्रेम है | अन्य सब दृष्टिकोणों से यह जीवन पूरी तरह विफल है। परमात्मा के सिवाय जीवन में कुछ भी अन्य प्राप्त नहीं किया। सब स्थानों पर विफलता ही विफलता मिली।
Let “Thy will be done.” (Not my will, but yours be done.)
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"त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्वमनन्तरूप॥
वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते॥
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः॥"
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"वसुदॆव सुतं दॆवं कंस चाणूर मर्दनम्।
दॆवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दॆ जगद्गुरुम्॥"
"वंशीविभूषित करान्नवनीरदाभात् , पीताम्बरादरूण बिम्बफला धरोष्ठात्।
पूर्णेंदु सुन्दर मुखादरविंदनेत्रात् , कृष्णात्परं किमपि तत्वमहं न जाने॥"
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"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥"
"नमो ब्रह्मण्य देवाय गो ब्राह्मण हिताय च, जगद्धिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः॥"
"मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम् । यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्॥"
"कस्तूरी तिलकम् ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम् ,
नासाग्रे वरमौक्तिकम् करतले, वेणु: करे कंकणम्।
सर्वांगे हरिचन्दनम् सुललितम्, कंठे च मुक्तावली,
गोपस्त्री परिवेष्टितो विजयते, गोपाल चूड़ामणि:॥"
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
सभी को मंगलमय शुभ कामनाएँ।
कृपा शंकर
१४ मई २०२४
परमात्मा -- पाप-पुण्य और धर्म-अधर्म से परे हैं।
ReplyDeleteहमारा एकमात्र धर्म -- परमात्मा को समर्पण है।
अन्य सब गौण है।