भगवान श्रीहरिः के चरण कमलों में यदि आश्रय मिल जाये तो इस संसार में प्राप्त करने योग्य अन्य कुछ भी नहीं है। सब कुछ उन्हें समर्पित है। समस्त सृष्टि को उन्होंने धारण कर रखा है और पालन-पोषण कर रहे हैं। वे ही गुरुरूप ब्रह्म हैं, वे ही पारब्रह्म परमेश्वर, परमशिव, नारायण, वासुदेव और सर्वस्व हैं। उन से पृथक अन्य कुछ है ही नहीं। वे ही सर्वस्व हैं। वे स्वयं को अपनी पूर्णता में व्यक्त करें।
"ॐ शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥"
No comments:
Post a Comment