Sunday, 27 April 2025

मैं वही लिखूँगा जिसका आदेश अन्तर्रात्मा में भगवान स्वयं देंगे ---

 मैं वही लिखूँगा जिसका आदेश अन्तर्रात्मा में भगवान स्वयं देंगे ---

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मैं स्वयं या किसी अन्य की प्रसन्नता के लिए नहीं, अपितु भगवान की प्रसन्नता के लिए ही लिखता हूँ। वर्तमान में मेरी सबसे बड़ी समस्या है -- भगवान को पूर्णतः समर्पण; क्योंकि अभी भी थोड़े-बहुत तमोगुण के अन्धकार का मुझ में अवशेष है।
अपने मित्रों को यही सलाह दूंगा कि गीता के भक्तियोग नामक १२ वें अध्याय का अर्थ सहित नित्य पाठ करें। इसमें सिर्फ २० श्लोक हैं। इसे रट लें। प्रातः और सायं दोनों समय या कम से कम एक बार तो इसका पाठ अवश्य करें।
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भगवान को साक्षी कर के मैं वचन देता हूँ कि अर्थ सहित जो गीता के इस भक्ति योग नाम के १२ वें अध्याय का नित्य पाठ करेगा, उसका इसी जन्म में अकल्पनीय कल्याण होगा। भगवान की उस पर विशेष कृपा होगी।
ॐ तत्सत् !!
२८ अप्रेल २०२३

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