Friday, 28 March 2025

इतना स्वार्थी नहीं हूँ, कि अपने समक्ष आई हुई विकट परिस्थितियों में निरपेक्ष रह सकूँ ---

 मेरी पीड़ा :--- कल २६ मार्च को मैंने तय किया था कि फेसबुक और ट्वीटर पर सात दिन तक नहीं आऊँगा| पर अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं| इतना स्वार्थी नहीं हूँ, कि अपने समक्ष आई हुई विकट परिस्थितियों में निरपेक्ष रह सकूँ| जिस समाज में मैं रहता हूँ उस की स्थिति वास्तव में बड़ी खराब है| इस समाज में जैसी लोगों की सोच है उससे उत्पन्न परिस्थितियाँ बड़ी दयनीय हैं| अपनी पीड़ा और अपनी भावनाओं को व्यक्त किए बिना मैं नहीं रह सकता| इस अभिव्यक्ति का माध्यम वर्तमान में फेसबुक ही है| अतः घूम-फिर कर बापस यहीं आ जाता हूँ|

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समाज में और परिवारों में जैसी स्थिति है उस से लगता है कि या तो मैं स्वयं ही गलत हूँ, या परिस्थितियाँ| परिस्थितियों को मैं दोष नहीं दूँगा, मैं स्वयं ही गलत हूँ, इसी लिए गलत स्थान पर हूँ| मैं अपनी सारी कमियों को भी देख रहा हूँ, मुझे कोई भ्रम या संदेह नहीं है| मुझे पता है कि मेरी क्या क्षमता है, और क्या अभीप्सा|
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सांसारिक दुनियाँ में हम इस शताब्दी के सबसे बड़े संकट में हैं| पूरी मानवता सहमी हुयी है| स्वयं को सर्वशक्तिमान समझने वाली मनुष्य जाति आज एक अदृश्य वायरस के समक्ष असहाय है| हमारी पीढ़ी का यह सबसे बड़ा संकट है| अगले कुछ सप्ताहों में आम लोग और सरकारें जिस तरह के निर्णय लेंगी वह तय करेगा कि भविष्य में दुनिया की तक़दीर कैसी होगी|
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यह सत्य नहीं है कि केवल सच बोलना ही सत्य है| सत्य तो हमारा धर्म और और हमारा अस्तित्व है| जिसकी सत्ता सदैव रहे वह ही सत्य है| सिर्फ परमात्मा की सत्ता ही नित्य है अतः परमात्मा ही सत्य है| उसकी रचना यह जगत मिथ्या और दुःखदायी है|
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भगवान की पूजा करनी चाहिए लेकिन पूजा करने से भगवान नहीं मिलते| अपने भीतर के देवत्व को जगाने से ही भगवान मिलते हैं| हमें स्वयं में ही भगवान को जागृत करना पड़ेगा, तभी हम भगवान को उपलब्ध हो सकते हैं| भगवान कोई आसमान से या अन्य कहीं से उड़कर आने वाली चीज नहीं है| हमें स्वयं में ही भगवान को व्यक्त करना पड़ता है| बाकी बातें किसी काम की नहीं हैं| भगवान कहीं बाहर नहीं, हमारे में ही अव्यक्त है जिसे व्यक्त करना पड़ेगा| जिनके पीछे पीछे हम भागते हैं, उनसे कुछ भी मिलने वाला नहीं है| सभी का मंगल हो|
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ मार्च २०२०

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