Wednesday, 13 November 2024

श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय और भगवान शिव का ध्यान -- ये मेरी बहुत बड़ी कमजोरियाँ हैं ---

 श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय और भगवान शिव का ध्यान -- ये मेरी बहुत बड़ी कमजोरियाँ हैं। इनके बिना मैं नहीं रह सकता। बिना भोजन किए रह सकता हूँ, लेकिन भगवान के ध्यान के बिना नहीं रह सकता। शिव और विष्णु में कोई भेद नहीं है। केवल उनकी अभिव्यक्तियाँ पृथक पृथक हैं।

कई बार मैं "परमशिव" शब्द का प्रयोग करता हूँ। यह शिव के सर्वव्यापी असीम विराट ज्योतिर्मय स्वरूप की एक अनुभूति मात्र है जो ध्यान में सभी पुराने साधकों को होती है। आचार्य शंकर ने इस शब्द का प्रयोग अपने "सौन्दर्य-लहरी" ग्रंथ में किया है। कश्मीर शैव दर्शन के भी किसी किसी आचार्य ने इस शब्द का प्रयोग अपने साहित्य में किया है। इस शब्द का प्रयोग आचार्य शंकर की परंपरा के आचार्य लोग करते रहते हैं। अपनी अनुभूति के कारण ही मैं इस शब्द का प्रयोग करता हूँ, किसी की नकल नहीं करता।
कृपा शंकर
१३ नवंबर २०२४

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