Wednesday, 6 May 2020

हम पूर्णप्रेम से समर्पित होकर उनके प्रकाश का विस्तार करें ....

कूटस्थ परमात्मा ने हमें उनके प्रकाश के विस्तार का कार्य दिया है, वही हमारा स्वधर्म है|
हम पूर्णप्रेम से समर्पित होकर उनके प्रकाश का विस्तार करें|
हमारी हर क्रिया में उन की अभिव्यक्ति हो, हमारी प्रज्ञा उन में प्रतिष्ठित हो| ॐ ॐ ॐ !!
"यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाशुभम्| नाभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता||२:५७||"
"तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः| वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता||२:६१||"
.
पुनश्च :--- आज के इस चुनौती भरे समय में हम परमात्मा में प्रतिष्ठित होकर उनके प्रकाश का विस्तार करें| हमारी हर क्रिया में उनकी अभिव्यक्ति हो| यही हमारा स्वधर्म / परमधर्म है| हमारे जन्म का उद्देश्य ही यही है, हमारा जन्म इसीलिए हुआ है| इस स्वधर्म का पालन करते-करते ही हम इस संसार में रहें और इस का पालन करते करते ही संसार से विदा लें| ॐ तत्सत् |
कृपा शंकर
१७ मार्च २०२०

No comments:

Post a Comment