Wednesday, 6 May 2020

भगवान हैं .....

भगवान की पूजा करनी चाहिए लेकिन पूजा करने से भगवान नहीं मिलते| अपने भीतर के देवत्व को जगाने से ही भगवान मिलते हैं| हमें स्वयं में ही भगवान को जागृत करना पड़ेगा, तभी हम भगवान को उपलब्ध हो सकते हैं| भगवान कोई आसमान से या अन्य कहीं से उड़कर आने वाली चीज नहीं है| हमें स्वयं में ही भगवान को व्यक्त करना पड़ता है| बाकी बातें किसी काम की नहीं हैं| भगवान कहीं बाहर नहीं, हमारे में ही अव्यक्त है जिसे व्यक्त करना पड़ेगा| जिनके पीछे पीछे हम भागते हैं, उनसे कुछ भी मिलने वाला नहीं है|
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भगवान "हैं", यहीं पर "हैं", सर्वत्र "हैं", इसी समय "हैं", हर समय "हैं", वे ही हमारे हृदय में धडक रहे "हैं", वे ही इन नासिकाओं से सांसें ले रहे "हैं", इन पैरों से वे ही चल रहे "हैं", इन हाथों से वे ही हर कार्य कर रहे "हैं", इन आँखों से वे ही देख रहे "हैं", इस मन और बुद्धि से वे ही सोच रहे "हैं", हमारा सम्पूर्ण अस्तित्व वे ही "हैं"| सारा ब्रह्मांड, सारी सृष्टि वे ही "हैं"| वे परम विराट और अनंत "हैं"| हम तो निमित्त मात्र, उन के एक उपकरण हैं| भगवान स्वयं ही हमें माध्यम बना कर सारा कार्य कर रहे हैं| कर्ता हम नहीं, स्वयं भगवान हैं| सारी महिमा भगवान की है| भगवान ने जहाँ भी रखा है और जो भी दायीत्व दिया है उसे हम नहीं, स्वयं भगवान ही कर रहे हैं| वे ही जगन्माता हैं, वे ही परमपुरुष हैं| हम उन के साथ एक हैं| कोई भेद नहीं है| ॐ ॐ ॐ ||

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