१३ जुलाई २०१७
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आज से ३५७ वर्ष पूर्व घटित वीरता की एक महान घटना :---
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१३ जुलाई १६६० को भारत के इतिहास में हिन्दू मराठा वीरों की वीरता की एक महान घटना घटित हुई थी जिसे धर्मनिरपेक्षों (सेक्युलरों) के इतिहास में कभी नहीं पढ़ाया जाएगा|
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पन्हाला के किले के पतन के पश्चात छत्रपति शिवाजी अपनी सुरक्षा के लिए विशालगढ़ के किले की ओर अपने सेनापती बाजी प्रभु देशपांडे और ३०० मराठा सैनिकों के साथ प्रस्थान कर रहे थे| उनका पीछा मुग़ल सेनापती सिद्दी जौहर अपने हजारों सिपाहियों के साथ कर रहा था| लगता था कि शत्रु सेना किसी भी क्षण पास में आ सकती है|
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आज से ३५७ वर्ष पूर्व घटित वीरता की एक महान घटना :---
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१३ जुलाई १६६० को भारत के इतिहास में हिन्दू मराठा वीरों की वीरता की एक महान घटना घटित हुई थी जिसे धर्मनिरपेक्षों (सेक्युलरों) के इतिहास में कभी नहीं पढ़ाया जाएगा|
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पन्हाला के किले के पतन के पश्चात छत्रपति शिवाजी अपनी सुरक्षा के लिए विशालगढ़ के किले की ओर अपने सेनापती बाजी प्रभु देशपांडे और ३०० मराठा सैनिकों के साथ प्रस्थान कर रहे थे| उनका पीछा मुग़ल सेनापती सिद्दी जौहर अपने हजारों सिपाहियों के साथ कर रहा था| लगता था कि शत्रु सेना किसी भी क्षण पास में आ सकती है|
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बाजी प्रभु देशपांडे ने अति आग्रह कर के शिवाजी को विशालगढ़ सुरक्षित पहुँच जाने को कहा और स्वयं अपने ३०० सिपाहियों के साथ हजारों की संख्या वाली मुग़ल सेना का सामना करने को रुक गया| अपने सैनिकों के साथ दोनों हाथों में तलवारें लिए हुए उस वीर योद्धा ने मुग़ल सेना को तब तक रोके रखा जब तक शिवाजी के सुरक्षित पहुँचने की सूचना देने के लिए विशालगढ के किले से तोप नहीं दागी गयी| उसके पश्चात् युद्ध करते हुए वह योद्धा अपने सभी सिपाहियों के साथ वीर गति को प्राप्त हुआ|
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उसकी वीरता और बलिदान से शिवाजी महाराज के प्राण बचे और वे भारत की स्वाधीनता के लिए और अनेक युद्ध करने को जीवित रहे|
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हर हर महादेव ! भारत माता की जय !
१३ जुलाई २०१७
बाजी प्रभु देशपांडे ने अति आग्रह कर के शिवाजी को विशालगढ़ सुरक्षित पहुँच जाने को कहा और स्वयं अपने ३०० सिपाहियों के साथ हजारों की संख्या वाली मुग़ल सेना का सामना करने को रुक गया| अपने सैनिकों के साथ दोनों हाथों में तलवारें लिए हुए उस वीर योद्धा ने मुग़ल सेना को तब तक रोके रखा जब तक शिवाजी के सुरक्षित पहुँचने की सूचना देने के लिए विशालगढ के किले से तोप नहीं दागी गयी| उसके पश्चात् युद्ध करते हुए वह योद्धा अपने सभी सिपाहियों के साथ वीर गति को प्राप्त हुआ|
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उसकी वीरता और बलिदान से शिवाजी महाराज के प्राण बचे और वे भारत की स्वाधीनता के लिए और अनेक युद्ध करने को जीवित रहे|
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हर हर महादेव ! भारत माता की जय !
१३ जुलाई २०१७
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