Thursday, 27 July 2017

धरती के स्वर्ग का दुर्भाग्य ......

धरती के स्वर्ग का दुर्भाग्य ......
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कश्यप ऋषि की तपोभूमि कश्मीर जो कभी वैदिक शिक्षा और शैव मत का केंद्र हुआ करती थी आज वहाँ दौलत-ए-इस्लामिया (Islamic State of Iraq & Syria) के काले झंडे लहराए जा रहे हैं| गज़वा-ए-हिन्द की शुरुआत हो चुकी है, और कब यह खुरासान बन जाए कुछ कह नहीं सकते|
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श्रीनगर को सम्राट अशोक ने बसाया था और जब चीनी यात्री ह्वैंसान्ग भारत आया था तो उसने कश्मीर में लगभग ढाई हज़ार प्राचीन मठों के अवशेष देखे थे| पाक अधिकृत कश्मीर में प्रसिद्ध वैदिक शारदा पीठ हुआ करती थी जिसकी अब कैसी स्थिति है, किसी को पता नहीं है|
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कश्मीर के दुर्भाग्य का आरम्भ तब से हुआ जब पश्चिम एशिया में मंगोल आक्रमणकारियों ने वहाँ की मुस्लिम जनसंख्या का जनसंहार करना आरम्भ किया और उनके दबाव से मुस्लिम शरणार्थी कश्मीर आने आरम्भ हुए|
कश्मीर के हिन्दुओं ने उन शरणार्थियों का स्वागत किया और उन्हें वहाँ बसाया| सन १३१३ में शाह मीर नामक एक ईरानी सपरिवार आकर वहाँ बसा| उसके पीछे पीछे जिहादियों के वहाँ आने की शृंखला बन गयी| सूफी बुलबुल शाह अपने साथ दो सौ से अधिक सूफी वहाँ लेकर आये जिन्होनें स्वयं को हिन्दू बताया| उनका एक शागिर्द नुरुद्दीन तो बहुत प्रसिद्ध हुआ था| उन्होंने यह प्रचार किया कि मोहम्मद हिन्दुओं का अवतार है| उन सूफियों ने अपने दुष्प्रचार से बहुत सारे हिन्दुओं को मुसलमान बनाया| इराक के बगदाद से मूसा सैयद ने अपने साथ सैंकड़ों मुसलमान प्रचारकों को वहाँ लाकर बसाया| महाराजा शाहदेव के समय में वहाँ एक गृहयुद्ध छिड़ गया था, जिसका लाभ उठाकर लद्दाख के बौद्ध राजकुमार रिन्छाना ने कश्मीर घाटी पर अधिकार कर लिया| शाहदेव प्राण बचाकर किश्तवाड़ भाग गए| राजकुमार रिन्छाना हिन्दू धर्म में दीक्षित होना चाहते थे पर पंडितों ने मना कर दिया अतः इससे चिढ़कर और सूफियों के प्रभाव से वे मुस्लिम धर्म में दीक्षित हो गए| इसकी पश्चात वहाँ जोरशोर से इस्लाम का प्रचार-प्रसार आरम्भ हो गया| सूफियों और सैयदों के प्रभाव से हिन्दुओं का उत्पीड़न सिकंदर बुतशिकन द्वारा आरम्भ हुआ| इस उत्पीड़न के पीछे ईरानी सूफी मीर अली हमदानी, और तुर्की के सूफी मूसा रेहना का भी दबाव था|
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दस हज़ार मंदिर ध्वस्त कर दिए गए, लाखों ब्राह्मणों की ह्त्या कर दी गयी, जिन लोगों ने इस्लाम कबूलने से इनकार कर दिया उन्हें बोरियों में बंद कर नदियों और झीलों में फेंक दिया गया| हिन्दू संस्कृति और संस्कृत भाषा का कश्मीर से नामोनिशान मिट गया| इस्लामीकरण का क्रम जो आरम्भ हुआ था वह आज भी चल रहा है|
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पंजाब के महाराज रणजीतसिंह जी ने कश्मीर को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया था और अपने एक डोगरा राजपूत सेनानायक गुलाब सिंह को वहाँ का महाराजा बना दिया था| महाराजा गुलाब सिंह के समय कश्मीर के सारे मुसलमान बापस हिन्दू धर्म में आना चाहते थे| पर वहाँ के पंडितों ने मना कर दिया और महाराजा गुलाब सिंह से कहा कि यदि आपने मुसलमानों को हिन्दू बनने दिया तो हम सब नदी में डूबकर आत्महत्या कर लेंगे और आपको ब्रह्महत्या का पाप लगेगा| यह एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य था हिन्दुओं का| यदि ऐसा हो जाता तो कश्मीर की कोई समस्या ही नहीं होती|
तथाकथित आज़ादी के बाद तो नेहरू जी ने भी स्पष्ट कह दिया था कि देश का कोई मुसलमान हिन्दू नहीं बन सकता, और यदि कोई संगठन शुद्धि आंदोलन चला रहा है, तो वह हिन्दू धर्म के विरुद्ध है|
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कश्मीर के मुसलमानों के शरीर में खून तो भारतीय ऋषियों का ही है| यह कश्मीरियत और कश्मीरियों का सांप्रदायिक सौहार्द क्या है ? इसे कोई परिभाषित नहीं कर सका है|
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केंद्र में जिस भी दल की सरकार आती है, सत्ता में आते ही उस पर सेकुलरिज्म और तुष्टिकरण का नशा चढ़ जाता है|
बहुत सारी बातें है जिन्हें इस समय लिखना संभव नहीं है| इतना समय भी नहीं है और टाइप करने में भी अब बहुत जोर आता है|
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>>> यह सृष्टि परमात्मा की है, वही इसके लिए जिम्मेदार है| होगा तो वही जो उसकी इच्छा होगी| यदि उसकी यही इच्छा है कि पृथ्वी पर असत्य और अन्धकार का राज्य हो, तो सनातन धर्म विलुप्त हो जाएगा| यदि परमात्मा स्वयं को व्यक्त करना चाहेंगे तो सनातन धर्म की निश्चित रूप से पुनर्स्थापना होगी|
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मैं इस लेख पर की गयी किसी भी टिप्पणी का उत्तर नहीं दूंगा| इतना समय नहीं है| श्रावण का पवित्र महीना है, घर के एकांत में बैठकर या किसी शिवालय में जाकर भगवान शिव का ध्यान करें| अपनी रक्षा करने में हम समर्थ हों, और परमात्मा सदा हमारी रक्षा करें|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
 कृपा शंकर
२५ जुलाई 2017

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