आज मेरा सात दिन का एकान्तवास पूर्ण हुआ। बहुत अच्छा अनुभव रहा। भगवान ने मेरे एक बहुत ही गोपनीय और गहन प्रश्न का उत्तर भी ध्यान में दे दिया। आज 5 जुलाई को एक मित्र के परिवार के साथ हूं और रात्री में ट्रेन से घर के लिए रवाना हो जाऊँगा।
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सारा संसार ब्रह्ममय है। ब्रह्म यानि जिस का निरंतर विस्तार हो रहा है और जिस से परे कुछ भी अन्य नहीं है। वह ब्रह्म ही परमशिव है, जो परम कल्याण कारक है। वही विष्णु है जो यह समस्त विश्व बन कर इसका पालन-पोषण कर रहा है। जगन्माता के रूप में वही प्राणों का संचार कर इस सृष्टि को चैतन्य बनाये हुये हैं। जगन्माता का उग्रतम रूप भगवती महाकाली है, और सौम्यतम रूप है राजराजेश्वरी ललिता महात्रिपुरसुन्दरी भगवती श्रीविद्या।
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इन्हीं में से किन्हीं या इनके किसी अवतार की उपासना की जाती है। ब्रह्म को ही हम परमात्मा, भगवान, सच्चिदानंद आदि नामों से पुकारते हैं। हमारा उद्गम उन्हीं से हुआ है, और जब तक हम उन में बापस नहीं लौटते, तब तक कर्मफलों को भोगने के लिए जन्म-मरण का चक्र चलता ही रहेगा। यदि हृदय में भक्ति और अभीप्सा है तो भगवान आगे का मार्ग अवश्य दिखाते हैं। सभी का कल्याण हो, सभी सुखी हों।। ओम् तत्सत् ।।
कृपा शंकर
5 जुलाई 2023
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