हिन्दू समाज में ये दो बहुत बड़ी विकृतियाँ है जिन्हें दूर किए बिना समाज में कोई उन्नति नहीं हो सकती ...
(१) धर्मशिक्षा का अभाव.
(२) विवाह में बहुत अधिक अनावश्यक खर्च.
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(१) धर्मशिक्षा के लिए सरकार पर दबाव डालकर संविधान के उन सब हिन्दू विरोधी प्रावधानों को हटवाना पड़ेगा जो हिंदुओं को अपने धर्म की शिक्षा प्रदान करने की अनुमति नहीं देते| समान नागरिक संहिता को लागू करवाना होगा, और हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट बंद करवानी होगी| मंदिरों का धन धर्म-संरक्षण के लिए है, न कि अधर्म के लिए|
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(२) विवाह सूर्य की रोशनी में दिवा-लग्न में ही अनिवार्य किए जाएँ और किसी भी परिस्थिति में दूल्हे सहित १० से अधिक बराती ले जाना कानूनी अपराध हो| कन्या पक्ष पर वर पक्ष के अधिकाधिक १० लोगों को सिर्फ एक ही बार भोजन कराने की ज़िम्मेदारी हो| किसी भी तरह का लेनदेन न हो और सारे विवाह रजिस्टर्ड भी हों| जब लेन-देन नहीं होगा तब भविष्य में दहेज के और महिला अत्याचार के झूठे मुकदमें भी नहीं होंगे|
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उपरोक्त विषयों पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए, तभी हिन्दू समाज प्रगतिशील होगा| वर्तमान में बेटियाँ किसी को नहीं चाहियें, पर कमाऊ बहू सब को चाहिए| यह हिन्दू समाज का सब से बड़ा ढोंग है| क्या बेटियों को जन्म देना अपराध है? हिन्दू समाज में बेटियों के माँ-बाप क्या लूट-खसोट के लिए ही हैं? उनको हर जगह नीचा क्यों दिखाया जाता है? हर अवसर पर किसी न किसी सामाजिक रिवाज के नाम पर उन को क्यों लूटा जाता है?
४ जुलाई २०२०
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पुनश्च: ----
आजकल बड़े शहरों की लड़कियों को सिर्फ कमाऊ पति ही चाहियें| वे दस-बारह लाख वार्षिक से कम कमाने वाले लड़के से संबंध नहीं करना चाहतीं| उन्हें न तो लड़के के स्वभाव और चरित्र से मतलब है और न खानदान से| उन्हें सिर्फ पैसा ही चाहिए| यह भी एक सामाजिक विकृति है|
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