मेरी समझ से तो बिलकुल भी नहीं। ईश्वर, अल्लाह और गॉड - में कोई समानता नहीं है। ये तीनों बिल्कुल अलग-अलग हैं। सिर्फ़ हिन्दू दृष्टिकोण ही इन्हें एक मान सकता है, अन्य कोई नहीं। इनमें कोई समानता है तो विद्वान मनीषी मुझे अपना ज्ञान दें। मैं आभारी रहूँगा।
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(१) ईश्वर -- एक सर्वव्यापी सत्ता है जो सृष्टि के कण-कण में है। ईश्वर ने स्वयं को ही इस सृष्टि के रूप में व्यक्त किया है। वह हम सब के हृदय में रहता है। ईश्वर को ही भगवान और परमात्मा आदि कहते हैं। गीता में भगवान कहते हैं --
"ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।
भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया॥१८:६१॥"
अर्थात् - हे अर्जुन (मानों किसी) यन्त्र पर आरूढ़ समस्त भूतों को ईश्वर अपनी माया से घुमाता हुआ (भ्रामयन्) भूतमात्र के हृदय में स्थित रहता है॥
योगसूत्र के अनुसार - "क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः"।
अर्थात् क्लेष, कर्म, विपाक और आशय से अछूता (अप्रभावित) वह विशेष पुरुष ईश्वर है।
पुरुष शब्द का प्रयोग भगवान विष्णु के लिए किया जाता है, क्योंकि वे इस पुर यानि सम्पूर्ण विश्व और सभी प्राणियों के भीतर शयन कर रहे हैं। विष्णु सहस्त्रनाम का पहला शब्द ही विश्व है। भगवान विष्णु ही पुरुषोत्तम कहलाते हैं। वे ही ईश्वर हैं।
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(२) अल्लाह -- इस्लाम का मूल मंत्र - "ला इलाह इल्ल अल्लाह मुहम्मद उर रसूल अल्लाह" है, अर्थात अल्लाह के सिवा कोई माबूद नही है, और मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनके आखरी रसूल (पैगम्बर)हैं। अल्लाह शब्द अरबी भाषा के दो शब्दों अल+इलाह से मिलकर बना है। कुरान की शुरूआत होतीं है "बिस्मिल्लाह हि रहमानो रहीम" अर्थात अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो दयालु और कृपाशील है"। अल्लाह शब्द अपने आप में अलग है। इसका कोई अनुवाद नहीं हो सकता। अल्लाह सर्वव्यापी नहीं है। वह सातवें आसमान से एक तख्त पर बैठकर सृष्टि का संचालन करता है और इंसाफ करता है। जो उस के आखिरी रसूल में ईमान लाते हैं, उनके प्रति वह बहुत दयालू है, और जो उस के आखिरी रसूल में ईमान नहीं लाते, उनके प्रति वह बहुत क्रूर है।
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(३) गॉड - भी सातवें आसमान में बैठा है। वह सारी दुनिया का सम्राट है। परंतु वह सारी दुनिया में व्याप्त नहीं है। उसने छह दिन में दुनिया बनाई और सातवें दिन आराम से सोया। करोड़ों वर्ष पुरानी सृष्टि में करोड़ों वर्ष के पश्चात एक प्रेतात्मा के जरिये एक कुमारी स्त्री से अपना इकलौता बेटा पैदा किया, जिसका नाम है यीशु। जो उसमें आस्था लाता है, उसे स्वर्ग मिलता है, अन्य सब को नर्क, चाहे वे कितने भी भले व्यक्ति हों।
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दूसरा सबसे बड़ा झूठ है कि सारे Religions एक हैं, और सबकी शिक्षाएँ भी एक हैं। मुझे तो किन्हीं में भी कोई एकता दिखाई नहीं दी। जो सब Religions/मज़हबों और उनकी शिक्षाओं को एक मानते हैं, वे या तो एकदम अज्ञानी हैं, या घोर कुटिल धूर्त।
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आप सब विद्वान महात्माओं को नमन !! हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
५ जून २०२२
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