सर्वप्रथम मैं जब फेसबुक पर जुलाई २०११ में आया तब मेरा लक्ष्य स्वयं के भावों/विचारों की अभिव्यक्ति थी| तत्पश्चात हिन्दू राष्ट्रवाद और तत्पश्चात आध्यात्म| बस यही फेसबुक पर मेरी गति थी| पिछले कुछ वर्षों से मैं अधिकांशतः हिन्दू राष्ट्रवाद और भक्ति पर ही लिखता आया हूँ| मेरा उद्देश्य था भक्ति को जागृत करना| भक्ति पर लिखने से मुझे बड़ा आनंद आता है|
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पर अब परिस्थितियाँ बदल गई हैं| इस समय यहाँ इस सार्वजनिक मंच पर और अधिक स्पष्ट शब्दों में लिखना मुझे शोभा नहीं देता| अतः नहीं लिखूँगा| अब पहिले वाली बात नहीं है| अब से अपना अधिकांश समय एकांत उपासना में ही व्यतीत करना चाहूँगा| कभी कभी जब भी भगवान की इच्छा होगी, तब फेसबुक पर भी लिखूँगा| उपलब्धता फेसबुक पर कम ही होगी| अधिकांश समय सत्संग और साधना में ही व्यतीत होगा|
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मेरा संकल्प है कि भारत एक अखंड आध्यात्मिक हिन्दू राष्ट्र हो, और सत्य सनातन धर्म की सर्वत्र प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो| इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु मैं आध्यात्मिक साधना करूँ, ऐसी ही भगवान की इच्छा है| उनकी इच्छा पूरी हो|
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२२ मार्च २०२०
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पुनश्च: ---
राष्ट्र की अस्मिता यानि हमारे धर्म व अस्तित्व पर जब मर्मान्तक प्रहार हो रहे हैं, तब हमारा सर्वोपरी धर्म अपनी अस्मिता यानि धर्म और राष्ट्र की रक्षा करना है| हमें कोई मुक्ति नहीं चाहिए| हम तो नित्यमुक्त है, सारे बंधन भ्रम हैं| नित्यमुक्त को मुक्ति की कैसी कामना?
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इस राष्ट्र का ब्रह्मतेज और क्षात्रत्व हम जागृत करेंगे, यह हम सब का संकल्प है| इस राष्ट्र को अन्धकार व असत्य से मुक्त करायेंगे| हम जीयेंगे तो स्वाभिमान और आत्म-गौरव से, अन्यथा नहीं रहेंगे|
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