Saturday 13 November 2021

मज़हबी कट्टरता का अंत महिला शिक्षा के द्वारा ही होगा ---

वर्तमान समय में अति त्वरित गति से जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनके मुख्यतः दो कारण हैं -- व्यवसायीकरण और स्त्रीशिक्षा। इनके अंतिम परिणाम सुखद ही होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। व्यवसायीकरण और स्त्रीशिक्षा के कारण पूरे विश्व में जीवन के प्रति दृष्टिकोण में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। जिन देशों ने व्यवसायीकरण और स्त्रीशिक्षा को रोका, उनकी हालत बहुत अधिक खराब है।
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पूरे विश्व के हो रहे व्यवसायीकरण के कारण ही अब विश्व के सभी देशों की विदेश-नीति व्यावसायिक और आर्थिक हितों पर ही आधारित हो गई है। इब्राहिमी मज़हबों (Abrahamic Religions) में वैमनस्य कम हुआ है। मिश्र, सऊदी-अरब और संयुक्त-अरब-अमीरात जैसे कट्टर मुस्लिम देश अब यहूदी इज़राइल के मित्र बन गए हैं। यहूदी और मुसलमान जो पहले एक-दूसरे के परम शत्रु थे, अब समीप आ रहे हैं। अरब देश पहले आँख मीचकर पाकिस्तान का समर्थन करते थे, अब भारत का समर्थन करते हैं, पाकिस्तानियों को अपने आसपास भी नहीं बैठने देते, क्योंकि पाकिस्तान कंगाल हो गया है। आर्थिक कारणों से ईरान अब पाकिस्तान से दूरी बना रहा है। मध्य एशिया के सभी मुस्लिम देश, भारत से समीपता चाहते हैं। व्यावसायिक कारणों से ही चीन जैसी आर्थिक महाशक्ति का विरोध करने का साहस किसी भी मुस्लिम देश में नहीं है, जब कि चीन में इस्लाम पर बड़ी कठोरता से पूर्ण प्रतिबंध है। विश्व का व्यवसायीकरण अभी तो आरंभ ही हुआ है। बड़ी तेजी से पूर्ण व्यवसायीकरण हो जायेगा। जन-सामान्य में भी प्रेम-भाव कम हुआ है, अब आपसी प्रेमभाव और संबंध -- पूरी तरह आर्थिक यानि व्यवसायिक हो गए हैं। बिना मतलब के कोई किसी से बात भी नहीं करना चाहता। भगवान की भक्ति भी अधिकांश लोग लौकिक लाभ की अभिलाषा से ही करते हैं।
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यूरोप में पहले महिला शिक्षा बिलकुल भी नहीं थी। हजारों महिलाओं को 'डायन' घोषित कर के चर्च द्वारा मरवा दिया जाता था। यूरोप के इतिहास में करोड़ों महिलाओं को 'डायन' घोषित कर के मार दिया गया था। चर्च के पादरियों की बुरी निगाह किसी महिला पर पड़ती, यदि वह महिला सहयोग नहीं करती तो उसे डायन घोषित कर यातना देकर मार दिया जाता। चर्च द्वारा यातना देने के Inquisition जैसे तरीके बड़े भयंकर थे। महिला शिक्षा के कारण पूरे पश्चिमी जगत में ईसाईयत का प्रभाव नगण्य हो गया है।
महिला शिक्षा के निरंतर बढ़ते प्रभाव से जिहादी मानसिकता भी कम होती जा रही है। तीन तलाक और हलाला जैसी कुप्रथाएँ महिला शिक्षा के कारण ही कम हुई हैं। मज़हबी कट्टरता का अंत महिला शिक्षा के द्वारा ही होगा।
८ नवंबर २०२१

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