Thursday, 13 February 2020

धर्म और राष्ट्र की रक्षा हमारा सर्वोपरि दायित्व है .....

धर्म और राष्ट्र की रक्षा हमारा सर्वोपरि दायित्व है .....
सारे उपदेश तभी तक सार्थक हैं जब तक परमात्मा की प्रत्यक्ष अनुभूति न हो जाये| एक बार उनकी प्रत्यक्ष अनुभूति हो जाये तो उन्हीं की शरणागत होकर उन्हीं में समर्पित हो जाना चाहिए| फिर कोई कर्तव्य नहीं रहता| तब तक अपना साधन-भजन नहीं छोडना चाहिए| गीता पाठ, गायत्री जप, प्राणायाम, ध्यान, मंत्रजप आदि का अपनी अपनी गुरु-परंपरानुसार नित्य नियमित अभ्यास अवश्य करना चाहिए|
समाज और राष्ट्र का ऋण हमारे ऊपर है| राष्ट्र है, तभी हम है, तभी हमारा धर्म और हमारा अस्तित्व है| अतः राष्ट्रहित में अपने सभी कर्म करने चाहियें| परमात्मा की व धर्म की सर्वोच्च और सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति भारतवर्ष में ही हुई है| जो हमें परमात्मा का साक्षात्कार करवा सकता है वह सनातन धर्म है| अतः धर्म और राष्ट्र की रक्षा हमारा सर्वोपरि दायित्व है| सनातन धर्म ही हमारी राजनीति हो| ॐ तत्सत् ||
५ फरवरी २०२० 

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