मैं क्यों व कैसे जीवित हूँ? ......
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जन्म-मरण और जीवन .... ये सब मेरे वश में नहीं हैं| अब तक मैं यही सोचता था कि अनेक जन्मों के संचित कर्मफलों के प्रारब्ध को भोगने के लिए यह जीवन जी रहा हूँ| पर अब सारा परिदृश्य और धारणा बदल गई है| जिन्होंने इस समस्त सृष्टि की रचना की है वे माँ भगवती जगन्माता ही यह जीवन जी रही हैं| मेरे और इस संसार के मध्य की कड़ी .... ये सांसें हैं| यह जगन्माता का सबसे बड़ा उपहार है| जिस क्षण ये साँसें चलनी बंद हो जाएंगी, उसी क्षण इस संसार से सारे संबंध टूट जाएँगे|
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ये साँसें चल रही हैं जगन्माता के अनुग्रह से| इन दो साँसों के पीछे का रहस्य भी भगवती की कृपा से मुझे पता है कि कैसे प्राणशक्ति इस देह में प्रवेश कर संचारित हो रही है और कैसे उसकी प्रतिक्रया से ये साँसें चल रही हैं| ये सांस कोई क्रिया नहीं, प्राणशक्ति के संचलन की प्रतिक्रिया है| इस प्राण का स्त्रोत और अंत कहाँ है, यह रहस्य भी स्पष्ट है| जिस क्षण जगन्माता की प्राणशक्ति का यह संचलन रुक जाएगा, उसी क्षण ये साँसें भी रुक जाएँगी और यह देह निष्प्राण हो जाएगी|
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कई रहस्य हैं जो जगन्माता के अनुग्रह से ही अनावृत होते हैं| वे रहस्य रहस्य ही रहें तो ठीक है| आप सब को नमन| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
९ दिसंबर २०१९
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जन्म-मरण और जीवन .... ये सब मेरे वश में नहीं हैं| अब तक मैं यही सोचता था कि अनेक जन्मों के संचित कर्मफलों के प्रारब्ध को भोगने के लिए यह जीवन जी रहा हूँ| पर अब सारा परिदृश्य और धारणा बदल गई है| जिन्होंने इस समस्त सृष्टि की रचना की है वे माँ भगवती जगन्माता ही यह जीवन जी रही हैं| मेरे और इस संसार के मध्य की कड़ी .... ये सांसें हैं| यह जगन्माता का सबसे बड़ा उपहार है| जिस क्षण ये साँसें चलनी बंद हो जाएंगी, उसी क्षण इस संसार से सारे संबंध टूट जाएँगे|
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ये साँसें चल रही हैं जगन्माता के अनुग्रह से| इन दो साँसों के पीछे का रहस्य भी भगवती की कृपा से मुझे पता है कि कैसे प्राणशक्ति इस देह में प्रवेश कर संचारित हो रही है और कैसे उसकी प्रतिक्रया से ये साँसें चल रही हैं| ये सांस कोई क्रिया नहीं, प्राणशक्ति के संचलन की प्रतिक्रिया है| इस प्राण का स्त्रोत और अंत कहाँ है, यह रहस्य भी स्पष्ट है| जिस क्षण जगन्माता की प्राणशक्ति का यह संचलन रुक जाएगा, उसी क्षण ये साँसें भी रुक जाएँगी और यह देह निष्प्राण हो जाएगी|
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कई रहस्य हैं जो जगन्माता के अनुग्रह से ही अनावृत होते हैं| वे रहस्य रहस्य ही रहें तो ठीक है| आप सब को नमन| ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
९ दिसंबर २०१९
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