Sunday, 10 December 2017

प्राण जाएँ पर मोबाइल न जाए .....

प्राण जाएँ पर मोबाइल न जाए .....
वर्तमान युवा व किशोर पीढ़ी को सर्वाधिक प्रिय यदि कोई चीज है तो वह है मोबाइल फोन| यह उन्हें अपने प्राणों से भी प्रिय है| दुपहिया और चारपहिया वाहनों को चलाते समय भी मोबाइल कानों से सटा ही रहता है| उनको न तो अपने स्वयं के प्राण की चिंता है और न दूसरों के प्राणों की| कोई कुछ कहता है तो स्पष्ट कहते हैं कि मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न भाग है, उसके बिना हम जी नहीं सकते|
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विद्यालयों के बालक/बालिकाएँ भी आजकल अपने माँ-बाप को अपनी सुरक्षा की दुहाई देकर मोबाइल खरीदवा ही लेते हैं| वे क्या सुनते हैं और क्या बात करते हैं यह तो सिर्फ वे और परमात्मा ही जानता है|
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किसी भी महाविद्यालय के बाहर का दृश्य देख लीजिये जो आजकल बहुत सामान्य है| कई लड़के सजधज कर मोटरसाइकिलों पर चक्कर लगाते ही रहते हैं, कानों में उनके मोबाइल सटा रहता है| लड़कियाँ भी सजधज कर अपने मुँह को कपड़े से ढककर और कानों में मोबाइल सटाकर आती हैं जिससे कोई उन्हें पहिचान नहीं सकता| अपने मोबाइल पर पता नहीं किस भाषा में क्या संकेत करती हैं, उनका मित्र लड़का अपनी मोटर साइकिल पर तुरंत उपस्थित हो जाता है| माँ-बाप सोचते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं, पर बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं यह माँ-बाप की कल्पना के बाहर की बात है| तो यह सारी महिमा मोबाइल की है| आजकल व्हाट्सएप्प और अन्य कई एप्प इतने लोकप्रिय हैं युवा पीढी में कि उसकी कल्पना भी हम नहीं कर सकते|
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हमारे समय में खाली समय में सिर्फ दो तीन बाते ही दिमाग में रहती थीं .... या तो किसी पुस्तकालय में जाकर पत्रिकाएँ और पुस्तकें पढ़ना, या किसी खेल के मैदान में जाकर फ़ुटबाल या वॉलीबॉल खेलना| इससे भी परे की कोई बात यदि दिमाग में रहती थी तो वह थी संघ की सायं शाखा में जाना| इससे आगे की कोई बात दिमाग में कभी आई ही नहीं| उस जमाने में न तो मोबाइल फोन थे, न टेलीविजन और न मोटर साइकिलें| किसी के पास बाइसिकल होती तो सब उसको भाग्यशाली मानते थे| बड़ी से बड़ी विलासिता की कोई चीज थी तो वह थी एक ट्रांजिस्टर रेडियो का होना|
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मैं कोई शिकायत नहीं कर रहा, जो कह रहा हूँ वह एक वास्तविकता है| समय बहुत शीघ्रता से बदलता है| टेक्नोलॉजी भी इतनी शीघ्रता से बदल रही है कि उसके साथ कदम से कदम मिला के चलना असम्भव सा हो रहा है| यह सृष्टि परमात्मा की है, हम तो उसके सेवक मात्र हैं| जो कुछ भी हो रहा है उसे बिना कोई प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए देखते रहो| इसके अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प भी नहीं है|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
०९ दिसंबर २०१७

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