Monday, 28 August 2017

आध्यात्मिक चुम्बकत्व .....

आध्यात्मिक चुम्बकत्व ......
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जैसे भौतिक चुम्बकत्व होता है, वैसे ही एक आध्यात्मिक चुम्बकत्व भी होता है | जिस में आध्यात्मिक चुम्बकत्व विकसित हो जाता है वह व्यक्ति मौन हो जाता है | उसे कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती | उसका चुम्बकत्व ही सब कुछ कह देता है |

ऐसे व्यक्ति ही मुनि होते हैं | वे जहाँ भी जाते हैं, जहाँ भी रहते हैं, उनकी उपस्थिति मात्र ही एक दिव्यता और आनंद का प्रकाश फैला देती है | उनकी उपस्थिति मात्र से से ही हम सब धन्य हो जाते हैं | ऐसे अनेक महात्माओं का सत्संग लाभ मुझे सौभाग्य से प्राप्त हुआ है |

ऐसे महात्माओं का सत्संग हमें सदा प्राप्त होता रहे | हम स्वयं भी उस महत्ता को प्राप्त हों |

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

कृपा शंकर
२८ अगस्त २०१७

2 comments:

  1. अपने विचारों का ध्यान रखें | हम जो कुछ भी हैं, वह अपने अतीत के विचारों से हैं | हम भविष्य में वही होंगे जैसे वर्तमान में हमारे विचार हैं |

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  2. अपने विवेक का सम्मान करें | स्वविवेक के प्रकाश में सारे कार्य करें | जैसा आपका ईश्वरप्रदत्त विवेक कहे वैसा ही करें | कहीं पर आप कुछ भी पढ़ें, या किसी से कुछ भी सुनें, उस पर तुरंत आँख मींच कर विश्वास ना करें | भगवान ने जो विवेक दिया उसको काम में लायें और सारे कार्य निज विवेक के प्रकाश में करें | अपने विवेक का सम्मान करें |
    ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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