Saturday, 23 August 2025

कुंडलिनी महाशक्ति का ही साकार रूप भगवती श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरी हैं। वे ही श्रीविद्या हैं ---

 कुंडलिनी महाशक्ति का ही साकार रूप भगवती श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरी हैं। वे ही श्रीविद्या हैं ---

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अनेक जिज्ञासु लोग मुझे संदेश भेज कर श्रीविद्या साधना सिखाने का अनुरोध करते हैं। मुझे इसका कोई अधिकार नहीं है। इसके बारे में बहुत अधिक भ्रांतियाँ लोगों में हैं। अधिकांश लोग समझते हैं कि यह कोई धन कमाने की विद्या है। यह कोई धन कमाने की विद्या नहीं है। इसके मंत्र परम गोपनीय होते हैं। इसका परम उद्देश्य कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर उसका परमशिव में विलय है। इसमें यम-नियमों का पालन अनिवार्य है। जिनको श्रीविद्या की साधना सीखनी है वे किन्ही दण्डी सन्यासी महात्मा से मार्गदर्शन प्राप्त करें। यह विद्या दण्डी सन्यासियों या नाथ संप्रदाय के कुछ सिद्ध योगियों से ही सीखी जा सकती है। आपका मंगल हो।
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पुनश्च : यह सिद्धों, सन्यासियों और उनके शिष्यों का विषय हैं। इस विषय पर मेरी कुछ भी टिप्पणी अनधिकृत चेष्टा होगी। इस का एकमात्र प्रामाणिक ग्रंथ "सौंदर्य लहरी" है। मेरा अनुभव तो यह है कि कुंडलिनी महाशक्ति का ही साकार रूप भगवती श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरी हैं। वे ही श्रीविद्या हैं। भगवती के जितने भी स्तोत्र हैं, उनमें काव्यात्मक व आध्यात्मिक दृष्टि से "श्रीललितासहस्त्रनाम" सर्वश्रेष्ठ स्तोत्र है। इसकी साधना का एक क्रम है, जिसे सिद्ध गुरु ही बता सकते हैं।
कृपा शंकर
२१ अगस्त २०२५

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