जिधर भी देखता हूँ, जहाँ तक भी मेरी कल्पना जाती है, वह सब मैं ही हूँ। इस मैं के पीछे परमात्मा छिपे हुए हैं। वे भी कब तक छिपेंगे? वे अब और नहीं छिप सकते।
Reveal Thyself unto me. Thou and I art one.
"मैं" नहीं अब सिर्फ "तुम" हो और "तुम्ही" रहोगे। अब तक के सभी जन्म-जन्मान्तरों के सारे पाप-पुण्य, सारे अभाव और सारे छिद्र व सारी अच्छाइयाँ-बुराइयाँ सब तुम्हें समर्पित हैं। अब और कुछ भी नहीं चाहिए। अपनी उपस्थिति से हर कमी को दूर कर दो। कोई कामना या पृथकता का बोध अब और ना उत्पन्न हो। कोई प्रार्थना भी ना रहे। सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा प्रेम रहे।
९ मई २०२३
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