Wednesday, 9 April 2025

उपासना / सहस्त्रारचक्र में गुरु महाराज के चरण कमलों का ध्यान करें।

उपासना ---
सहस्त्रारचक्र में गुरु महाराज के चरण कमलों का ध्यान करें। वहाँ दिखाई दे रही कूटस्थ ज्योति ही गुरु महाराज के चरण कमल हैं। उसमें स्थिति गुरु चरणों में आश्रय है। गुरु-चरणों में आश्रय लेकर गुरु-प्रदत्त उपासना करें। कहीं कोई कमी रह जायेगी तो गुरु महाराज उसका शोधन कर देंगे। हर समय परमात्मा की चेतना में स्थित रहें। गीता में इसी के बारे में भगवान कहते हैं ---
एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति ।
स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति ॥२:७२॥
अर्थात् - हे पार्थ यह ब्राह्मी स्थिति है। इसे प्राप्त कर पुरुष मोहित नहीं होता। अन्तकाल में भी इस निष्ठा में स्थित होकर ब्रह्मनिर्वाण (ब्रह्म के साथ एकत्व) को प्राप्त होता है॥
ॐ तत्सत् ॥
कृपा शंकर
१० अप्रेल २०२३

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