Monday, 7 April 2025

भगवान को उपलब्ध होना हमारा स्वधर्म और जन्मसिद्ध अधिकार है ---

 भगवान को उपलब्ध होना हमारा स्वधर्म और जन्मसिद्ध अधिकार है ---

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निरंतर ब्रह्म-चिंतन और भक्ति ही हमारा स्वभाव है, अन्यथा हम अभाव-ग्रस्त हैं। जीवन के प्रत्येक मौन क्षण में भगवान की पूर्ण अभिव्यक्ति हो। हर आती-जाती साँस भगवान की साँस हो। जीवन का हर क्षण, हर स्पंदन, हर विचार, -- भगवान को समर्पित हो। जीवन में भगवान के सिवाय अन्य कुछ भी न हो। भगवान को उपलब्ध होना हमारा स्वधर्म और जन्मसिद्ध अधिकार है। यदि सत्यनिष्ठा से हम चाहें, तो भगवान को उपलब्ध होने से हमें विश्व की कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती। सत्यनिष्ठा से मेरा अभिप्राय है कि हम भगवान को चाहें, न कि उनके सामान को। या तो उनका सामान ही मिलेगा, या भगवान स्वयं ही मिलेंगे। दोनों एकसाथ नहीं मिल सकते। जिनको दोनों चाहियें, वे मुझे क्षमा करें।
ॐ तत्सत् !!
८ अप्रेल २०२३ पुनश्च: --- अब इस समय लिखने योग्य एक ही बात है कि भगवान को पाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। यदि सत्यनिष्ठा से हम चाहें, तो भगवान को पाने से हमें विश्व की कोई भी शक्ति नहीं रोक सकती। सत्यनिष्ठा से मेरा अभिप्राय है कि हम भगवान को चाहें, न कि उनके सामान को। या तो उनका सामान ही मिलेगा, या भगवान स्वयं ही मिलेंगे। दोनों एकसाथ नहीं मिल सकते। जिनको दोनों चाहियें, वे मुझे क्षमा करें।

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