शासन का लक्ष्य धर्मरक्षा है, तथाकथित समाज-सेवा नहीं। भारत के सभी हिन्दू सम्राटों/राजाओं के लिए राज्य करना, और राज्य की रक्षा करना -- उनका धर्म था। अपने धर्म-पालन के लिए ही वे राज्य करते थे, न कि अहंकार की तृप्ति के लिए। ईश्वर के सभी अवतार भी धर्म के अभ्युत्थान और धर्म की रक्षा के लिए ही अवतरित हुए हैं। "अभ्युदय" और "निःश्रेयस" की सिद्धि को ही भारत में "धर्म" माना गया है। ॐ तत्सत् !! २० मार्च २०२४
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