गुरु पूर्णिमा की आप सब को हार्दिक शुभकामनायें --- (४ जुलाई २०२०)
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"अखंड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्| तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः||"
"ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं, द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम्|
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतम्, भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि||"
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मैं अपने गुरु महाराज को अपना सम्पूर्ण अस्तित्व समर्पित करता हूँ| मेरे पास अपना कहने को कुछ भी नहीं है| सब कुछ उन्हीं का है| तत्व रूप में वे मेरे कूटस्थ में नित्य निरंतर विराजमान हैं| वे कोई हाड़-मांस की देह नहीं, परमप्रेममय, नित्य नवीन आनंद, व सर्वव्यापी ज्योतिर्मय चैतन्य हैं| उनके बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं है|
"गुशब्दस्त्वन्धकार: स्यात् रूशब्दस्तन्निरोधक:| अन्धकारनिरोधित्वाद् गुरूरित्यभिधीयते||"
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प्रतीक रूप में गुरु-चरणों की या गुरु-पादुका की पूजा होती है| मैं गुरु-चरणों की पूजा .... सहस्त्रार में ध्यान द्वारा करता हूँ| ब्रह्मरंध्र से परे की अनंतता उनका विराट रूप है| उस अनंतता से भी परे का ज्योतिषांज्योतिर्मय आलोक जिसे मैं "परमशिव" कहता हूँ, वे स्वयं हैं| वे ही वासुदेव हैं, वे ही नारायण हैं, और वे ही मेरे आराध्य इष्ट देव हैं|
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"वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च |
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ||
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व |
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ||"
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"वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूरमर्दनं| देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुं||"
"वंशी विभूषित करान्नवनीर दाभात् , पीताम्बरा दरुण बिंब फला धरोष्ठात् |
पूर्णेन्दु सुन्दर मुखादरविंद नेत्रात् , कृष्णात परम किमपि तत्वमहंनजाने ||"
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने| प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:||"
"नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च| जगत् हिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः||"
"मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्| यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्||"
"हरे मुरारे मधुकैटभारे, गोविन्द गोपाल मुकुंद माधव |
यज्ञेश नारायण कृष्ण विष्णु, निराश्रयं मां जगदीश रक्षः ||"
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"ऊँ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु | सह वीर्यं करवावहै |
तेजस्विना वधीतमस्तु, मा विद्विषावहै ||" ऊँ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||
ॐ तत्सत!! ॐ गुरु!! जय गुरु!! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ जुलाई २०२०
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पुनश्च :--- इस साल पांच महीने का चातुर्मास है| देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी के बीच के समय को चातुर्मास कहते हैं| इस बार आश्विन माह का अधिकमास है|
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