हमारा कार्य सिर्फ प्रकाश में वृद्धि करना है. बाकी का कार्य परमात्मा पूर्ण करेंगे ---
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जैसे-जैसे सतोगुण में वृद्धि होगी, तमोगुण का प्रभाव कम होगा| आज स्वतः ही कुछ घनीभूत पीड़ाएँ व्यक्त हो गईं| मध्याह्न में विश्राम करते करते अचानक समाधिस्थ हो गया| शरीर का बोध ही नहीं रहा, पता नहीं शरीर था भी या नहीं| चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश! कहीं कोई अंधकार नहीं! कई तरह के मिले-जुले रंगों का प्रकाश सामने आया जो पहले कभी दिखाई नहीं दिया था| पहले सुनहरे, नीले व श्वेत रंग तो दिखाई देते थे पर आज पहली बार इनके साथ पीतांबरी रंग भी दिखाई दिया जो बड़ा ही दिव्य था| प्रकाश ही प्रकाश, और आनंद ही आनंद! समझते देर नहीं लगी कि गुरु महाराज स्वयं ही करुणावश कृपा कर के पधारे हैं| उन्हें कौन तो आसन देता, और कौन उन्हें प्रणाम करता? मैं तो था ही नहीं| दो-तीन गोपनीय बातें जो वे बताना चाहते थे, वे संप्रेषित हो गईं और पूरी तरह से समझ में आ गईं| इसके काफी देर बाद धीरे धीरे देह की चेतना बापस लौटी| इतनी गहन तृप्ति और संतोष का बोध पहले कभी नहीं हुआ था| आध्यात्मिक धरातल पर अब कोई पीड़ा नहीं है|
कृपा शंकर
३१ जुलाई २०२०
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ॐ श्रीगुरुभ्यो नमः, ॐ श्रीपरमगुरुभ्यो नमः, ॐ श्रीपरात्परगुरुभ्योनमः, ॐ श्रीपरमेष्टीगुरुभ्योनमः || अन्यथा शरणं नास्ति, त्वमेव शरणं मम | तस्मात कारुण्य भावेन, रक्षस्व परमेश्वर ||
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वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च |
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ||
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व |
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः ||
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ गुरु ॐ !! जय गुरु !!
३१ जुलाई २०२०
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