जीवन में कभी भी विपरीत परिस्थितियाँ और संकट काल अचानक ही आ सकते हैं, जिन में जीवित रहने हेतु भगवान की कृपा होना आवश्यक है। भगवान भी श्रद्धालुओं की ही रक्षा करते हैं, जो उन को अपना मन, बुद्धि, चित्त, और अहंकार समर्पित कर देते हैं। भगवान का भक्त कभी नष्ट नहीं होता --
"क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति।
कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति॥९:३१॥" (श्रीमद्भगवद्गीता)
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भगवान की कृपा प्राप्त करनी हो, तो किसी अधिकारी आचार्य से सीख कर साधना करनी आवश्यक है। आने वाले समय में बाढ़, चक्रवात, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदायें आ सकती हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ सकता है, तीसरा विश्वयुद्ध आरंभ हो सकता है। ईश्वर की उपासना तो करनी ही पड़ेगी, आज नहीं तो कल। लेकिन आग लगाने पर कुआँ खोदना कितना उपयोगी होगा, उसकी आप कल्पना कर सकते हैं।
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आप सब महान आत्माओं को नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१० जून २०२१
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