क्या भ्रष्टाचार को तंत्र-मंत्र से समाप्त किया जा सकता है?
.
एक बहुत पुरानी स्मृति है सन १९७६ की| मुझे कुछ दिनों के लिए पूर्वी यूरोप के देश रोमानिया के कोन्स्तांजा (Constanta) नगर में जाना पड़ा था| उस समय जहाँ तक मैं समझता हूँ, इतना भ्रष्ट देश दुनियाँ में शायद ही कोई दूसरा होगा| भ्रष्टाचार ही वहाँ का शिष्टाचार था| लोगों की मजबूरी थी| वहाँ के कम्युनिष्ट तानाशाह निकोलाई चाउशेस्को और उसकी पत्नी एलेना ने देश का सारा धन तो लोगों से छीनकर अपने पास जमा कर रखा था और लोगों को मार्क्सवाद के नाम पर अपना गुलाम बना कर रखा था| किसी भी नागरिक में स्वाभिमान नहीं बचा था और देश की अधिकांश महिलाओं की तो बहुत ही बुरी गति थी|
.
अब उपरोक्त घटना के १३ वर्ष बाद दिसंबर १९८९ की बात है| मैं पूर्वी यूरोप के ही मार्क्सवादी देश यूक्रेन गया हुआ था जो तब तक सोवियत संघ का ही भाग था| रूसी भाषा का उस समय तक अच्छा ज्ञान था (अब तो भूल गया हूँ) अतः भाषा की कोई कठिनाई नहीं थी| एक दिन वहाँ के टीवी पर समाचार देखा कि रोमानिया में मार्क्सवाद विरोधी क्रांति हो गई है, वहाँ का तानाशाह निकोलाई चाउशेस्को और उसकी पत्नी एलेना दोनों ही हेलिकॉप्टर से भाग रहे थे, लोगों ने नीचे से गोलियां चला कर हेलिकॉप्टर को नीचे गिरा दिया और दोनों को पहले तो पकड़ लिया, फिर पीट-पीट कर मार डाला|
.
सबसे बड़ा आश्चर्य तो मुझे तब हुआ जब सोवियत संघ ने इस घटना का समर्थन किया| यह मेरे तब तक के जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य था| मैं उसी समय समझ गया कि मार्क्सवाद का अंत आ चुका है और सोवियत संघ भी बिखर सकता है|
.
उससे पहिले सन १९६८ की एक घटना याद आ गई| उस समय मैं सोवियत रूस में एक प्रशिक्षण के लिए गया हुआ था| अक्तूबर १९६८ में हंगरी में मार्क्सवाद विरोधी क्रांति हो गई थी तब ४ नवंबर १९६८ को रूसी सेना ने हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट और अन्य नगरों पर अपने टैंकों से भयंकर आक्रमण किया और अगले ६ दिनों में २५०० से अधिक हङ्गेरियन क्रांतिकारियों को मार कर बापस मार्क्सवादी सत्ता को स्थापित किया| लगभग दो लाख हङ्गेरियन देश छोड़कर भाग गए और ७०० से अधिक सोवियत सैनिक भी मारे गए|
.
रोमानिया में मार्क्सवादी व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह और सोवियत संघ द्वारा उसका समर्थन ..... एक महान प्रतिक्रांति थी जो विश्व से मार्क्सवाद के अंत की शुरुआत थी| सौभाग्य से मैं भी इसका साक्षी था|
.
लोग कहते हैं कि रोमानिया के कुछ कबीलों की महिलाओं को तंत्र-मंत्र का ज्ञान था जो दिन रात वहाँ की भ्रष्ट सरकार और व्यवस्था को बदलने के लिए कुछ अभिचार कर्म किया करती थीं| कई वर्षों की साधनाओं के उपरांत उनके अभिचार कर्म सिद्ध हुए और वहाँ की भ्रष्ट व्यवस्था धराशायी हुई| यह सुनी हुई बात है| इस विषय पर श्री नरेश आर्य जी ने एक वीडियो और पोस्ट भी डाली थी जिसका लिंक नीचे कॉमेंट बॉक्स में है|
.
भारत में भी अभिचार कर्म .... वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन और मारन जानने वाले बहुत लोग होंगे| मैं क्षमायाचना सहित पूछना चाहता हूँ कि क्या भारत के सारे तांत्रिक, मांत्रिक, अघोरी सब मिलकर कोई ऐसा अनुष्ठान कर सकते हैं जो भारत के भीतर और बाहर के सब शत्रुओं का नाश कर सके? मैं अनाड़ी आदमी हूँ, इसलिए ये सब लिख रहा हूँ| आप सब को नमन !
कृपा शंकर
१ जून २०२०
No comments:
Post a Comment