Saturday, 29 May 2021

हमारी कोई समस्या नहीं है, समस्या हम स्वयं हैं ---

 हमारी कोई समस्या नहीं है, समस्या हम स्वयं हैं ---

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हमारी एकमात्र समस्या --परमात्मा से पृथकता है। यह बिना शरणागति और समर्पण के दूर नहीं होगी। परमात्मा का ध्यान और चिंतन ही सत्संग है। यह सत्संग मिल जाए तो सारी समस्याएँ सृष्टिकर्ता परमात्मा की हो जायें।
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हम साधना करते हैं, मंत्रजाप करते हैं, पर हमें सिद्धि नहीं मिलती। इसका मुख्य कारण है -- असत्यवादन। झूठ बोलने से वाणी दग्ध हो जाती है, और किसी भी स्तर पर मन्त्रजाप का फल नहीं मिलता। इस कारण कोई साधना सफल नहीं होती। सत्य और असत्य के अंतर को शास्त्रों में, और विभिन्न मनीषियों ने स्पष्टता से परिभाषित किया है। सत्य बोलो पर अप्रिय सत्य से मौन अच्छा है। प्राणरक्षा और धर्मरक्षा के लिए बोला गया असत्य भी सत्य है, और जिस से किसी की प्राणहानि और धर्म की ग्लानि हो वह सत्य भी असत्य है। जिस की हम निंदा करते हैं उसके अवगुण हमारे में भी आ जाते हैं| जो लोग झूठे होते हैं, चोरी करते हैं, और दुराचारी होते हैं, वे चाहे जितना मंत्रजाप करें, और चाहे जितनी साधना करें उन्हें कभी कोई सिद्धि नहीं मिलेगी।
ॐ तत्सत्
२९ मई २०१६

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