"नाम और रूप" में कौन बड़ा है, और कौन छोटा? यह कहना अपराध है| नाम के बिना रूप का ज्ञान नहीं हो सकता| भेद दृष्टि अपराध है| जो भेद दृष्टि रखते हैं, उनके घर में आसुरी संतान जन्म लेती है| जो भेद दृष्टि नहीं रखते उनके घर में देवशक्ति से सम्पन्न संतान हैती हैं| जैसे दिति - अदिति| दिति अर्थात भेद, अदिति अर्थात अभेद| भेद से हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यपु| अभेद से बटुक वावन| दृष्टि बदली कि सृष्टि बदली| पूर्वजन्म में हमने मुक्ति का मार्ग नहीं अपनाया , मुक्ति हुई नहीं इसलिए तो भौतिक शरीर में जन्म लिया| अच्छाई को न ग्रहण करना भी महापाप है|
......(एक संत का प्रसाद)
......(एक संत का प्रसाद)
समुझत सरिस नाम अरु नामी। प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी।।
नाम रूप दुइ ईस उपाधी। अकथ अनादि सुसामुझि साधी।।
को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू।।
देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना।।
रूप बिसेष नाम बिनु जानें। करतल गत न परहिं पहिचानें।।
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें।।
नाम रूप गति अकथ कहानी। समुझत सुखद न परति बखानी।।
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी। उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी।।
नाम रूप दुइ ईस उपाधी। अकथ अनादि सुसामुझि साधी।।
को बड़ छोट कहत अपराधू। सुनि गुन भेद समुझिहहिं साधू।।
देखिअहिं रूप नाम आधीना। रूप ग्यान नहिं नाम बिहीना।।
रूप बिसेष नाम बिनु जानें। करतल गत न परहिं पहिचानें।।
सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखें। आवत हृदयँ सनेह बिसेषें।।
नाम रूप गति अकथ कहानी। समुझत सुखद न परति बखानी।।
अगुन सगुन बिच नाम सुसाखी। उभय प्रबोधक चतुर दुभाषी।।
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