Wednesday, 8 November 2017

भगवान की परम कृपा ही भारत से भ्रष्टाचार को मिटा सकती है .....

भगवान की परम कृपा ही भारत से भ्रष्टाचार को मिटा सकती है, यह किसी मनुष्य के वश की बात नहीं है .....
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भारत में नोटबंदी के क्रांतिकारी निर्णय का एक वर्ष पूर्ण हो गया है| यह देशहित में एक नए युग का प्रारम्भ था| व्यक्तिगत रूप से तो पास में पैसा नहीं होने का आनंद आया| अनाप-शनाप पैसा होता तो मुझे भी बहुत अधिक पीड़ा होती| कैसे भी कम पैसों से काम चलाया पर कोई शिकायत नहीं है| कम पैसे में काम चलाना सिखाने के लिए मैं इस नोटबंदी की घटना का आभारी हूँ|
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जो लोग नोटबंदी को लूट बताते हैं उनके लिए 2g, 3g, coal-gate, और cw घोटाले तो सिर्फ हाथ की सफाई थे|
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कटु सत्य तो यह है कि भारत की नौकरशाही यानि ब्यूरोक्रेसी ही सबसे अधिक भ्रष्ट है जिस पर लगाम लगाना असंभव है| अब तो न्यायपालिका भी भ्रष्ट हो गयी है| भारत की सबसे बड़ी समस्या ही ऊपर के स्तर पर छाया भ्रष्टाचार है| यह भ्रष्टाचार वर्त्तमान व्यवस्था की एक मजबूरी है|
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हर बड़ी राजनीतिक रैली में २०-२५ करोड़ रुपये खर्च होते हैं| चुनावों के लिए हर राजनीतिक दल को हज़ारों करोड़ रुपये चाहिएँ| इन रुपयों की व्यवस्था और प्रबंध उच्च सरकारी अधिकारी ही करते हैं| चाहे वे परजीवी हों पर इन भ्रष्ट अधिकारियों की आवश्यकता हर राजनीतिक दल को होती है| ईमानदारी दिखाने के लिए पैसा विदेशी बैंकों में जमा करा दिया जाता है| भारत में उच्चतम स्तर पर वे ही अधिकारी राज करते हैं जो जितने अधिक भ्रष्ट व कुटिल होते हैं, क्योंकि व्यवस्था ही ऐसी है, जिसे वर्त्तमान परिस्थितियों में बदलना असंभव है|
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यह भ्रष्टाचार भारत को अंग्रेजी शासन व्यवस्था की देन है जिन्होनें भारत को लूटने के लिए ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया| अंग्रेज़ी शासन व्यवस्था से यह भ्रष्टाचार हमें विरासत में मिला जो वर्तमान व्यवस्था में और भी कई गुणा अधिक बढ़ गया है|
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भगवान की परम कृपा ही भारतवर्ष से भ्रष्टाचार को मिटा सकती है, यह किसी मनुष्य के वश की बात नहीं है|

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