Wednesday, 8 November 2017

सारे भौतिक प्रदूषणों का कारण मानसिक व वैचारिक प्रदूषण है ......

सारे भौतिक प्रदूषणों का कारण मानसिक व वैचारिक प्रदूषण है ......
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हमारा वैचारिक प्रदूषण ही सारे प्रदूषणों का कारण है | हमारे विचार, हमारा चिंतन, हमारी मानसिकता ही प्रदूषित हो गयी है, अतः प्रकृति हमारे से कुपित है | यही इस सभ्यता का सर्वनाश करेगा |
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हमारे विचार ही इस सृष्टि के समस्त घटनाक्रमों को संचालित कर रहे हैं | जैसा हम सोचते हैं, जैसे हमारे विचार हैं, वे ही घनीभूत होकर बाहर के विश्व में प्रकट हो रहे हैं |
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वास्तविक विकास आत्मिक विकास है | बड़ी बड़ी इमारतें और साफ़ सुथरी व चौड़ी सड़कें ही विकास की निशानी नहीं हैं | वास्तविक विकास है नागरिकों का चरित्र | वह शिक्षा अशिक्षा है जो व्यक्ति को चरित्रवान नहीं बनाती | हम दूसरों को ठगने, बेईमानी करने, व कामुकता का निरंतर चिंतन करते हैं, यह हमारा पतन है | यह भीतर का पतन ही बाहर परिलक्षित हो रहा है |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!

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