Monday, 9 October 2017

स्वयं की आध्यात्मिक प्रगति का मापदंड ......

स्वयं की आध्यात्मिक प्रगति का मापदंड ......
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हमने चाहे खूब जप-तप किया हो, खूब ध्यान किया हो, और खूब भक्ति की हो, पर यदि अहंकार और काम वासना कम न हुई है तो हमारी आध्यात्मिक साधना और भक्ति से हमें अभी तक कोई लाभ नहीं हुआ है| मन की शान्ति, अहंकार का नाश, और काम-वासना से निवृति .... ये मील के पत्थर हैं जो हमारी आध्यात्मिक प्रगति को दर्शाते हैं|
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हम अपनी प्रगति का आंकलन अपने विचारों और व्यवहार को देखकर भी कर सकते हैं| हम अपने बुरे विचारों और बुरे भावों से मुक्त होने के लिए परमात्मा के सदगुणों का ध्यान करते हैं ताकि वे सदगुण हम में आयें और हमें अपने बुरे संस्कारों से मुक्ति मिले| अच्छे और बुरे विचार पूर्व जन्मों से अब तक के संस्कारों से आते हैं|
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किसी सिद्ध गुरु का सान्निध्य अत्यंत आवश्यक है जो हमें दिशा निर्देश तो देता ही है साथ साथ हमारी रक्षा भी करता है| पांडित्य प्रदर्शन, तर्क-वितर्क और वाक् पटुता से बचें, ये अहंकार को जन्म देते हैं|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
१० अक्टूबर २०१७

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