आध्यात्म में अधिकाँश विषय अति सूक्ष्म हैं .....
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आध्यात्म में अधिकाँश विषय अति सूक्ष्म हैं, वे परमात्मा की प्रत्यक्ष कृपा से ही गहन ध्यान में समझ में आते हैं | बुद्धि की क्षमता से वे परे हैं | सिर्फ पढ़कर बुद्धि से उन्हें कोई नहीं समझ सकता | उन्हें समझने के लिए साधना करनी पड़ती है | उन्हें समझाने वाला भी तत्वज्ञ होना चाहिए और समझने का प्रयास करने वाला भी मुमुक्षु हो | सिर्फ बौद्धिक जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को कभी भी कुछ समझ में नहीं आ सकता |
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सबसे सरल मार्ग है ..... परमात्मा से परम प्रेम और उन पर नियमित ध्यान |
वही जीवन जिओ जो परमात्मा की ओर ले जाता है | संग भी उन्हीं का करो जो परमात्मा की प्राप्ति में सहायक हो, अन्यथा चाहे निःसंग ही रहना पड़े | संबंध भी उन्हीं लोगों से रखो जो परमात्मा से प्रेम करते हैं, अन्यों से नहीं, चाहे सारे सम्बन्ध तोड़ने ही पड़ें | वही भोजन करो जो साधना में सहायक हो, अन्यथा चाहे भूखा ही रहना पड़े | रहो भी वहीं जहाँ परमात्मा की स्मृति बनी रहे, अन्यथा उसकी व्यवस्था परमात्मा पर ही छोड़ दो | यह सांसारिक नारकीय जीवन जीने से तो भगवान का ध्यान करते करते यह देहत्याग करना अच्छा है | भगवान को भुलाकर संसार से आशा ही जन्म-मरण और समस्त दुःखों का कारण है |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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आध्यात्म में अधिकाँश विषय अति सूक्ष्म हैं, वे परमात्मा की प्रत्यक्ष कृपा से ही गहन ध्यान में समझ में आते हैं | बुद्धि की क्षमता से वे परे हैं | सिर्फ पढ़कर बुद्धि से उन्हें कोई नहीं समझ सकता | उन्हें समझने के लिए साधना करनी पड़ती है | उन्हें समझाने वाला भी तत्वज्ञ होना चाहिए और समझने का प्रयास करने वाला भी मुमुक्षु हो | सिर्फ बौद्धिक जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को कभी भी कुछ समझ में नहीं आ सकता |
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सबसे सरल मार्ग है ..... परमात्मा से परम प्रेम और उन पर नियमित ध्यान |
वही जीवन जिओ जो परमात्मा की ओर ले जाता है | संग भी उन्हीं का करो जो परमात्मा की प्राप्ति में सहायक हो, अन्यथा चाहे निःसंग ही रहना पड़े | संबंध भी उन्हीं लोगों से रखो जो परमात्मा से प्रेम करते हैं, अन्यों से नहीं, चाहे सारे सम्बन्ध तोड़ने ही पड़ें | वही भोजन करो जो साधना में सहायक हो, अन्यथा चाहे भूखा ही रहना पड़े | रहो भी वहीं जहाँ परमात्मा की स्मृति बनी रहे, अन्यथा उसकी व्यवस्था परमात्मा पर ही छोड़ दो | यह सांसारिक नारकीय जीवन जीने से तो भगवान का ध्यान करते करते यह देहत्याग करना अच्छा है | भगवान को भुलाकर संसार से आशा ही जन्म-मरण और समस्त दुःखों का कारण है |
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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