(१) फेसबुक पर मेरे आने का उद्देश्य पूर्ण हो गया है | छः वर्ष पूर्व
मैं फेसबुक पर आया था तब स्वयं के राष्ट्रवादी व आध्यात्मिक विचारों व
भावनाओं को व्यक्त करने की एक तड़फ थी हृदय में | फेसबुक ने मुझे वह अवसर
दिया जिसके लिए मैं इस मंच का आभारी हूँ | अब तक ९०० (नौ सौ) के लगभग छोटे
बड़े लेख लिखे जा चुके है मुझ अकिंचन के माध्यम से |
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(२) उस समय हिंदी में लिखने का बिलकुल भी अभ्यास नहीं था | भाषा में व्याकरण की अत्यधिक अशुद्धियाँ थीं, शब्दों का ज्ञान अल्प था और शब्दों का चयन भी गलत था | कई मित्रों ने मेरी भाषा का बहुत बुरा माना पर कई ने पर्याप्त प्रोत्साहन भी दिया जिसके कारण भाषा में चमत्कारिक सुधार हुआ | अंग्रेजी में लिखना बंद करने से विदेशी मित्रों ने मुझे छोड़ दिया पर भारत में अनेक बहुत अच्छे अच्छे मित्र बने | अब तो हिंदी भाषा में लिखने की इतनी सामर्थ्य आ गयी है कि जीवन भर यदि नित्य लिखता रहूँ तब भी विषयों का, भावों का और शब्दों का अभाव नहीं रह सकता | पर अब ह्रदय भर गया है और पूर्ण संतुष्टि है |
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(३) फेसबुक को कभी छोडूंगा नहीं | इस पर कुछ समय के लिए नित्य आऊँगा | जब भी प्रभु से कुछ लिखने की प्रेरणा मिलेगी तब अवश्य लिखूँगा | मैं आप सब का सेवक मात्र हूँ | आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार अभिव्यक्तियाँ हैं | आप सब में मुझे परमात्मा के दर्शन होते हैं |
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(४) एक प्रबल आकर्षण है परमात्मा का जो मुझे निरंतर अपनी ओर खींच रहा है | परमात्मा को ही मुझ अकिंचन से अत्यधिक प्रेम हो गया है | वे ही मेरे जीवन के केन्द्रविन्दु बन गए हैं | जीवन के इस संध्याकाल का अवशिष्ट समय उनके ध्यान और उनकी सेवा में ही व्यतीत हो, यही परमात्मा की इच्छा है |
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आप सब को पुनश्चः नमन ! आप ने मुझे इतना समय और प्रेम दिया उसके लिए मैं आप सब का सदा आभारी रहूँगा |
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ॐ नमः शिवाय ! ॐ नमो नारायण ! ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
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(२) उस समय हिंदी में लिखने का बिलकुल भी अभ्यास नहीं था | भाषा में व्याकरण की अत्यधिक अशुद्धियाँ थीं, शब्दों का ज्ञान अल्प था और शब्दों का चयन भी गलत था | कई मित्रों ने मेरी भाषा का बहुत बुरा माना पर कई ने पर्याप्त प्रोत्साहन भी दिया जिसके कारण भाषा में चमत्कारिक सुधार हुआ | अंग्रेजी में लिखना बंद करने से विदेशी मित्रों ने मुझे छोड़ दिया पर भारत में अनेक बहुत अच्छे अच्छे मित्र बने | अब तो हिंदी भाषा में लिखने की इतनी सामर्थ्य आ गयी है कि जीवन भर यदि नित्य लिखता रहूँ तब भी विषयों का, भावों का और शब्दों का अभाव नहीं रह सकता | पर अब ह्रदय भर गया है और पूर्ण संतुष्टि है |
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(३) फेसबुक को कभी छोडूंगा नहीं | इस पर कुछ समय के लिए नित्य आऊँगा | जब भी प्रभु से कुछ लिखने की प्रेरणा मिलेगी तब अवश्य लिखूँगा | मैं आप सब का सेवक मात्र हूँ | आप सब परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार अभिव्यक्तियाँ हैं | आप सब में मुझे परमात्मा के दर्शन होते हैं |
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(४) एक प्रबल आकर्षण है परमात्मा का जो मुझे निरंतर अपनी ओर खींच रहा है | परमात्मा को ही मुझ अकिंचन से अत्यधिक प्रेम हो गया है | वे ही मेरे जीवन के केन्द्रविन्दु बन गए हैं | जीवन के इस संध्याकाल का अवशिष्ट समय उनके ध्यान और उनकी सेवा में ही व्यतीत हो, यही परमात्मा की इच्छा है |
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आप सब को पुनश्चः नमन ! आप ने मुझे इतना समय और प्रेम दिया उसके लिए मैं आप सब का सदा आभारी रहूँगा |
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ॐ नमः शिवाय ! ॐ नमो नारायण ! ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१० अगस्त २०१७
१० अगस्त २०१७
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