Sunday, 11 June 2017

इस भूमि पर वीर पुरुष ही राज्य करेंगे ......

इस भूमि पर वीर पुरुष ही राज्य करेंगे ......
------------------------------------------
इस धरा पर सदा वीरों ने ही राज्य किया है और वीर ही राज्य करेंगे| हमें राज्य ही करना है तो शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक हर दृष्टी से वीर बनना पडेगा| मैं उस महायान मत का अनुयायी नहीं हूँ जिसने आत्मरक्षा के लिए प्रतिकार का ही निषेध कर दिया और अहिंसा की इतनी गलत व्याख्या की कि पूरा भारत ही निर्वीर्य हो गया| महायान मत के नालंदा विश्वविद्यालय में दस हज़ार विद्यार्थी और तीन हज़ार आचार्य थे| उन्होंने बख्तियार खिलजी के तीन सौ घुड़सवारों का प्रतिरोध क्यों नहीं किया? उन्होंने अपने अहिंसा परमो धर्म का पालन करते हुए अपने सिर कटवा लिए पर आतताइयों से युद्ध नहीं किया| वही बख्तियार खिलजी बंगाल को रौंदता हुआ जब आसाम पहुँचा तो सनातन धर्मानुयायी आसामी वीरों ने उसकी सेना को गाजर मूली की तरह काट दिया| पूरा मध्य एशिया महायान बौद्ध मत का अनुयायी हो गया था पर वे अरब से आये मुट्ठी भर आतताइयों की तलवार की धार का सामना न कर सके और मतांतरित हो गए| सिंध के महाराजा दाहर सेन भी ऐसे ही कायरों के कारण पराजित हुए थे|
.
शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक तीनों प्रकार की निर्बलता कोई स्थायी स्थिति नहीं है| यह हमारी गलत सोच, अकर्मण्यता और आलस्य के कारण हमारे द्वारा किया हुआ एक पाप है जिसका फल भुगतने के लिए हम पराधीन होते हैं, या नष्ट कर दिए जाते हैं|
.
मानसिक निर्बलता के कारण हम प्रतिकूल परिस्थितियों और कठिनाइयों का सामना नहीं कर पाते और निराश व किंकर्तव्यमूढ़ हो जाते हैं| बौद्धिक निर्बलता के कारण हम सही और गलत का निर्णय नहीं कर पाते| दृढ़ मनोबल के अभाव में ही हम आध्यात्मिक क्षेत्र में भी कोई प्रगति नहीं कर पाते| दुर्बल के लिए देवता भी घातक हैं| छोटे मोटे पेड़ पौधे गर्मी में सूख जाते हैं पर बड़े बड़े पेड़ सदा लहलहाते हैं| प्रकृति भी बलवान की ही रक्षा करती है| निर्बल और अशक्त लोगों को हर क़दम पर हानियाँ उठानी पड़ती हैं|
.
भारत की ही एक अति प्रसिद्ध आध्यात्मिक/राष्ट्रवादी/धार्मिक/सामाजिक संस्था के मार्गदर्शक महोदय का कुछ वर्ष पूर्व एक भाषण पढ़ा और सुना था जिसमें उन्होंने साधना द्वारा ब्रह्मतेज को प्रकट करने की आवश्यकता पर बल दिया था| मैं उससे इतना प्रभावित हुआ कि उनको सादर घर पर निमंत्रित किया और वे आये भी| उन जैसी ही कुछ और संस्थाएँ भी भारत में जन जागृति का बहुत अच्छा कार्य कर रही हैं|
.
हमें हर दृष्टी से बलवान बनना पड़ेगा क्योंकि शक्ति सम्वर्धन ही उन्नति का एकमात्र मार्ग है| (आध्यात्मिक रूप से) बलहीन को परमात्मा की प्राप्ति भी नहीं होती है| हमारे आदर्श भगवान श्रीराम हैं जिन्होनें आतताइयों के संहार के लिए धनुष धारण कर रखा है| हमारे हर देवी-देवता के हाथ में शस्त्रास्त्र हैं| कायरता हमारे धर्म में है ही नहीं|
.
किसी भी क्षेत्र में अनायास सफलता नहीं मिलती| उसके लिए तो निरन्तर प्रयत्न करते हुए अपनी शक्तियों को विकसित करना होता है| शक्ति का विकास अनवरत श्रम-साधना के द्वारा ही किया जा सकता है| हमें बौद्धिक सामर्थ्य का भी अति विकास करना होगा, अन्यथा इस पाप का परिणाम हमें पथभ्रष्ट कर विपत्तियों के गर्त में धकेल देगा| निर्बलता रूपी पाप का दंड अति कठोर है| "वीर भोग्या वसुंधरा" यह नीति वाक्य यही कहता है कि वीर ही इस वसुंधरा का भोग करेंगे|
.
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
११ जून २०१७

1 comment:

  1. ओम् आ ब्रम्हन्ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतां
    आस्मिन्राष्ट्रे राजन्य इषव्य
    शूरो महारथो जायतां
    दोग्ध्री धेनुर्वोढाअनंवानाशुः सप्तिः
    पुरंधिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः
    सभेयो युवाअस्य यजमानस्य वीरो जायतां|
    निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु
    फलिन्यो न औषधयः पच्यन्तां
    योगक्षेमो नः कल्पताम ||
    >
    (इस राष्ट्र में ब्रह्मतेजयुक्त ब्राह्मण उत्पन्न हों| धनुर्धर, शूर और बाण आदि का उपयोग करने वाले कुशल क्षत्रिय पैदा होयें| अधिक दूध देने वाली गायें होवें| अधिक बोझ ढो सकें ऐसे बैल होवें| ऐसे घोड़े होवें जिनकी गति देखकर पवन भी शर्मा जावे| राष्ट्र को धारण करने वाली बुद्धिमान तथा रूपशील स्त्रियां पैदा होवें, विजय संपन्न करने वाले महारथी होवें|
    समय समय पर योग्य वारिस हो, वनस्पति वृक्ष और उत्तम फल हों| हमारा योगक्षेम सुखमय बने|)

    ReplyDelete