Monday, 26 May 2025

आत्मनिवेदनात्मक भक्ति रुपी यज्ञ ---

आत्मनिवेदनात्मक भक्ति रुपी यज्ञ ---
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योगियों के अनुसार कुण्डलिनी जागरण -- गोमेध यज्ञ है।
मणिपुर चक्र का भेदन ----------------- अश्वमेध यज्ञ है।
अनाहत चक्र का भेदन ---------------- वाजपेय यज्ञ है,
आज्ञा चक्र का भेदन ------------------ सोम यज्ञ है,
और अपने आप को हवि रूप में
परमात्मा रुपी अग्नि में पूर्ण समर्पण ----- नरमेध यज्ञ है।
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यह साधना हम अजपा-जप (हंसः योग) व नादानुसंधान और क्रिया के साथ भी कर सकते हैं। कोई भी प्राणी पवित्रता और शुद्ध भाव से अपने आपको शाकल्य, और भगवान को अग्नि समझकर, भगवान में अपने आप को निरंतर समर्पित करता है, तो यह नरमेध यज्ञ उसे भगवान् की प्राप्ति करा देता है|
हवि डालते समय ओम् या किसी भगवन्नाम या मन्त्र का उच्चारण हम कर सकते हैं| यह सामग्रीनिरपेक्ष सात्विक यज्ञ है जिसे शरणागति या आत्मनिवेदन भक्ति भी कह सकते हैं। इस परम सात्विक यज्ञ का आश्रय हम सब ले सकते हैं।
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ॐ आत्मतत्वं समर्पयामी नम: स्वाहा । इदम् नरमेध यज्ञे आत्म कल्याणार्थाय इदम् न मम॥
ॐ तत्सत्। ॐ ॐ ॐ॥
कृपा शंकर
२७ मई २०१५ 

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