Friday, 11 April 2025

ब्रह्म और भ्रम में क्या भेद है?

 ब्रह्म और भ्रम में क्या भेद है?

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जो स्वयं से पृथक है, वह भ्रम है। जो स्वयं के साथ एक है, जिस में सर्वस्व समाहित है, जिस से परे कुछ भी नहीं है, वह ब्रह्म है। ब्रह्म एक अनुभूति का विषय है, बुद्धि का नहीं। जब हमारी चेतना इस नश्वर देह के साथ एक न होकर समष्टि यानि सम्पूर्ण सृष्टि के साथ एक होती है, तब हम स्वयं भी ब्रह्म हैं। तब हम कह सकते हैं -- अहं ब्रह्मास्मि।। हम ब्रह्म हैं, ब्रह्म से आये हैं, और ब्रह्म में ही विलीन हो जायेंगें। हम यह नश्वर देह नहीं हैं। जब तक इस सत्य का साक्षात्कार न हो, इसका चिंतन मनन निदिध्यासन और ध्यान परमप्रेमपूर्वक करते रहें।
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उस समय तक अकिंचन भाव में ही रहें, स्वयं को साधक समझना माया का एक आवरण है जो हमें भ्रमित करता है।
ओम् तत्सत् ।।
कृपा शंकर
१२ अप्रेल २०२४

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