आध्यात्म में "हृदय" शब्द का अर्थ ---
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श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् कहते हैं कि वे चैतन्य रूप से समस्त प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं। यहाँ हृदय शब्द का अर्थ शारीरिक हृदय नहीं है।
करुणा, प्रेम, क्षमा, उदारता जैसे अनेक गुणों से सम्पन्न मन को ही आध्यात्म में हृदय कहते हैं। हमारा शांत, प्रसन्न, सजग और जागरूक मन ही हृदय कहलाता है, जो आत्म-तत्व का अनुभव करने में सक्षम है।
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