गांधी को महात्मा किसने बनाया ? ---
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अब उजागर हुए एक ब्रिटिश दस्तावेज के अनुसार मोहनदास करमचंद गांधी को "महात्मा" की उपाधि ब्रिटिश सरकार द्वारा २ सितंबर १९३८ को दी गई थी। ब्रिटिश सरकार के आदेशानुसार २ सितंबर १९३८ से "गांधी" को "महात्मा गांधी" कहना अनिवार्य था। यह झूठ है कि महात्मा की उपाधि उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस, या रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों की सेवा का वचन देने के कारण श्री मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा कहलवाया गया। यह तथ्य जानने के बाद उन्हें "महात्मा गांधी" कहना अंग्रेजों की गुलामी है।
Birthday of Mahatma Gandhi should be observed on 2nd September. As Mohandas Gandhi, he was born on 2nd October, 1861. But as 'Mahatma', he was born on 2nd September, 1938 by order of Secretary to Government, GA Department, Government of CP & Brar.
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इस परिवार ने कोई आजादी नहीँ हासिल की। कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजों से संघर्ष के लिये नहीँ हुई थी, बल्कि अंग्रेजों ने यह पार्टी इसलिये बनायी कि कोई विद्रोह नहीँ हो। जहाँ अन्य स्वाधीनता संग्रामियों को फांसी दी गई, उनके पूरे परिवार को खोज खोज कर मारा गया, वहीँ अंग्रेज भक्ति के द्वारा गान्धी नेहरू परिवार की सम्पत्ति दिनोंदिन बढ़ती गयी। गान्धी को ४ जगहों पर मुफ्त जमीन अंग्रेजों ने दी --- दक्षिण अफ्रीका में १६५० एकड़ का टालस्टाय फार्म, अहमदाबाद में ४५ एकड़ का साबरमती आश्रम, पटना में ३२ एकड़ का सदाकत आश्रम तथा वर्धा में १५० एकड़ का आश्रम| मोतीलाल नेहरू का परिवार भी वेश्या दलालों के नौकर से उन्नति कर सम्पन्न वकील हो गया। गान्धी नेहरू को दिखावे की गिरफ्तारी के बाद राजमहलों में रखा जाता था-आगा खान पैलेस। सत्य, अहिंसा से सबसे अधिक दूर रहे। केवल उनके साथ प्रयोग करते रहे कि सबसे अधिक झूठ को अंग्रेजी सहायता से कैसे सत्य बनाया जा सकता है ---- खलीफा के पक्ष में आन्दोलन को खिलाफत कह असहयोग के रूप में अनुवाद आदि। विभाजन द्वारा विश्व के सबसे बड़े नरसंहार का पूर्ण समर्थन तथा सहायता। भारत पर पाकिस्तान का आक्रमण करवाने के लिए गान्धी नेहरू ने दो सहायता की ---- भारतीय सेना का सेनापति अंग्रेजों को ही रखा, जबकि पाकिस्तान ने आजादी मिलते ही अपना सेनापति बनाया। पाकिस्तान के पास आक्रमण के लिये पैसे नहीँ थे, अतः ५५ करोड़ रुपए दिये गये। आजकल भेद खुलने के कारण कांग्रेस द्वारा देश विरोधी कामों में बाधा आ रही है।
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गाँधी का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने नेहरू जैसे अयोग्य, विलासी और पश्चिमी मानसिकता वाले व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में देश पर थोप दिया। ऐसा करके गाँधी ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति का एक बार फिर निर्लज्ज परिचय दिया। उल्लेखनीय है कि 16 कांग्रेस कमेटियों में से किसी ने भी नेहरू के नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री पद के लिए नहीं किया था। 13 कमेटियों ने सरदार पटेल के नाम का प्रस्ताव दिया था, जो इस पद के लिए सर्वाधिक योग्य थे और निर्विवाद रूप से देशभक्त थे। जब नेहरू को पता लगा कि किसी ने भी उनके नाम का प्रस्ताव नहीं किया है और सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन सकते हैं, तो वे गाँधी के सामने जाकर गिड़गिड़ाये और एक प्रकार से धमकाया भी। इससे गाँधी डर गये और कांग्रेस को नेहरू का नाम स्वीकार करने पर अड़ गये। सरदार पटेल, डा. राजेन्द्र प्रसाद तथा अन्य नेता गाँधी का बहुत सम्मान करते थे, इसलिए उन्होंने गाँधी की बात मान ली और पीछे हट गये। गाँधी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनने का कारण यह बताया था कि यदि उनको प्रधानमंत्री न बनाया गया, तो वे रूठकर कांग्रेस से अलग हो सकते हैं और कांग्रेस और देश का नुकसान कर सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि वास्तव में नेहरू ने गाँधी और कांग्रेस को ब्लैकमेल किया था। अब जरा देखा जाये कि देश की आजादी के आंदोलन में नेहरू का क्या योगदान था। कांग्रेस के आन्दोलनों का इतिहास बताता है कि हर आन्दोलन में नेहरू सबसे आगे रहकर सबसे पहले जेल चले जाते थे। बस यही उनका योगदान था। वे सबसे पहले जेल जाकर हीरो बन जाते थे। जेल में वे ए क्लास की सुविधायें भोगते थे और पार्टी के बाकी लोग अंग्रेजों की लाठियाँ और अत्याचार सहन करते थे। नेहरू के लिए जेल यात्रा पिकनिक से कम नहीं थी। उन्होंने आजादी के लिए कभी कोई कष्ट सहन नहीं किया, लेकिन सौदेबाजी करने और सत्ता की मलाई चाटने में सबसे आगे रहे। लेडी माउंटबेटन से उनका प्रेम प्रसंग था। उनके माध्यम से उनका लार्ड माउंटबेटन पर प्रभाव था, जिसका उन्होंने पूरा फायदा उठाया और सफल सौदेबाजी में सत्ता हथिया ली। नेहरू ने प्रधानमंत्री बनने के बाद देश का जो बेड़ा गर्क किया, उसे सब जानते हैं। उनकी ‘योग्यता’ का सबसे बड़ा सबूत कश्मीर आज भी हमारा सिरदर्द बना हुआ है। सरदार पटेल ने 542 रियासतों को एक कर डाला, लेकिन केवल एक मामला (कश्मीर का) नेहरू ने जबर्दस्ती अपने हाथ में रखा, और उनकी नालायकी देखिए कि वही लटक गया और आज तक लटका हुआ है। अगर कश्मीर का मामला भी सरदार पटेल के हाथ में होता, तो कब का हल हो गया होता। नेहरू ने अपनी मूर्खतापूर्ण नीतियों से देश का जो अपमान कराया और विकास के नाम पर विनाश का बीज बोया, मूर्खात्मा गाँधी ने पोंगा पंडित नेहरू जैसे अयोग्य व्यक्ति को बलपूर्वक प्रधानमंत्री बनाकर देश की जो कुसेवा की, उसका फल हम आज तक भोग रहे हैं और कौन जानता है कब तक भोगेंगे।
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