Monday, 18 May 2020

हंसवती ऋक, नादानुसंधान, व सूक्ष्म प्राणायाम द्वारा चेतना का ऊर्ध्वगमन -----

हंसवती ऋक, नादानुसंधान, व सूक्ष्म प्राणायाम द्वारा चेतना का ऊर्ध्वगमन -----
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परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति, हमारे माध्यम से हर क्षण कैसे हो? यही हमारी एकमात्र समस्या है| हम भूतकाल में क्या थे और भविष्य में क्या होंगे? यह सृष्टिकर्ता परमात्मा की समस्या है, हमारी नहीं|
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किस विधि से हमारा वर्तमान सर्वश्रेष्ठ हो, हर क्षण हम परमात्मा की चेतना में कैसे रहें? परमात्मा हमारे जीवन में कैसे व्यक्त हो? यही हमारी मूल समस्या है| ऐसे विषयों पर भारत में खूब विचार हुए हैं| वेदों में इनकी साधना विधियाँ भी सूत्र रूपों में दी हुई हैं| आजकल इनका खूब प्रचार हुआ है और लाखों साधक तैयार हुए हैं जो यथासंभव अपनी पूर्ण निष्ठा और निःस्वार्थ भाव से साधना कर रहे हैं| इन साधकों की संख्या धीरे-धीरे निरंतर बढ़ रही है| इन साधना पद्धतियों का कहीं कहीं मूल नाम बदल गया है पर उनका मूलरूप यथावत है| इन लाखों साधकों की साधना जब फलीभूत होगी तब एक ब्रह्मशक्ति का प्राकट्य भारतवर्ष में होगा, और भारतवर्ष अपने द्विगुणित परम वैभव को प्राप्त कर एक अखंड आध्यात्मिक हिन्दू राष्ट्र होगा जहाँ की राजनीति ही सनातन धर्म होगी| तब असत्य और अंधकार की शक्तियों का प्रभाव अत्यल्प हो जाएगा|
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निज चेतना पर पड़ा हुआ एक अज्ञान का आवरण धीरे-धीरे गुरुकृपा से दूर हो रहा है और समझ भी बढ़ रही है| जब मुझ जैसे अकिंचन अपात्र पर भगवान कृपा कर के अपने अनेक रहस्यों को अनावृत कर सकते हैं, तो आप तो बहुत अधिक प्रबुद्ध, ज्ञानी, और सज्जन हैं| आप में तो बहुत अधिक पात्रता है| थोड़ी रुचि लें और भगवान को अपना प्रेम दें तो निश्चित रूप से उनकी महती कृपा आप पर अवश्य होगी|
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ नमः शिवाय !! ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ मई २०२०

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